बंजार की तीर्थन घाटी में सदियों पुरानी सांझी विरासतों को संजोए रखते हैं यहां के मेले और त्यौहार।
शर्ची गांव में धूमधाम से मनाया गया पडेई उत्सव, सैंकड़ों लोगों ने की शिरकत।
बंजार की तीर्थन घाटी में वैशाखी मेले की धूम, उमड़ा आस्था का सैलाब।पर्यटकों ने उठाया शर्ची जमाला की वादियों और मेले का लुत्फ
न्यूज़ मिशन
तीर्थन घाटी गुशैनी बंजार (परस राम भारती)
हिमाचल प्रदेश के मेले एवं त्यौहार यहां की जान, शान और पहचान है। यहां पर प्रत्येक नई ऋतु आने पर कोई ना कोई त्योहार मनाया जाता है। पहाड़ के लोगों ने लुप्त हो रही इन प्राचीनतम सांस्कृतिक परंपराओं को जैसे तैसे करके जीवित रखा है।
जिला कुल्लू के उपमंडल बंजार की तीर्थन घाटी में भी हर वर्ष की भांति अलग-अलग गांव में 14 से 21 अप्रैल तक परंपरागत वैशाखी मेलों का आयोजन होता है। शर्ची गांव में सात अप्रैल को मनाया जाने वाला वैशाखी पर्व पडेई जाच के नाम से मशहूर है। यह उत्सव शरद ऋतु की विदाई और गर्मी के आगमन पर बहारों के मौसम में नई फसलों के पकने की खुशी में मनाया जाता है। देव परंपरा के अनुसार प्रतिवर्ष 5 प्रविष्टि बैशाख को शर्ची गांव में पढ़ई मेला मनाने का रिवाज है। यह त्यौहार कई पीढ़ियों से लगातार मनाया जा रहा है जिसमें गांव के हर समुदाय के लोग हिस्सा लेते हैं। इस दिन गांव से बाहर रहने वाले सभी लोग अपने घर आ जाते है और इस मेले में शामिल होते है।
पडेई मेले की शुरुआत घाटी की आराध्य देवी माता गाड़ा दुर्गा के आगमन से होती है। इस बार भी तीर्थन घाटी के शर्ची गांव में वैशाखी पडेई का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया गया। इस मेले में स्थानीय लोगों के अलावा बाहरी क्षेत्रों से भी सैकड़ों लोगों ने शिरकत की और माता गाड़ा दुर्गा के दर्शन करके माता को जरी फूल अर्पित किए तथा सुख समृद्धि की कामना की।
इस दौरान तीर्थन घाटी की आराध्य देवी माता गाड़ा दुर्गा अपने हारीआनों समेत लाव लश्कर के साथ और बाध्ययंत्रो की सुरमई धुन के बीच शर्ची गांव के मेला स्थल पर विराजमान रहती है।
तीर्थन घाटी के शरची जमाला की वादियां घाटी के प्रमुख दर्शनीय व रमणीक स्थलों मे से एक उभरता हुआ पर्यटन स्थल है। यहां पर चारों ओर वृक्षों से ढकी ऊँची पर्वत शृंखलाएँ, कई थाच, चारागाह व खेत खलिहान यहाँ के नजारे को और भी खूबसूरत और रमणीक बनाते है। गर्मियों के मौसम मे यहां खूब हरियाली और सर्दियों के मौसम में शरची जमाला सहित आसपास के क्षेत्र बर्फबारी से लक दक रहते है जो यहां के नजारे को और भी लुभावना और मनमोहक बनाते है। आजकल शर्ची जमाला की वादियां पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। तीर्थन घाटी में आने वाला हर पर्यटक इन वादियों को निहारे विना नहीं जाता है। इस बार बाहरी राज्यों से आए हुए सैलानियों ने भी मेला देखने का खूब लुत्फ उठाया है।
करीब 70 फुट लम्बे पेड़ को जंगल से लाकर मेला स्थल में खड़ा करना इस मेले का मुख्य आकर्षण रहा। प्रातः ही शर्ची जमाला के ग्रामीण जंगल में जाकर एक सीधा और लम्बा पेड़ काटकर लाते है जिसे सैंकड़ों लोगों द्धारा जंगल से घसीट कर और कन्धों में उठाकर मेला स्थल में पहुंचाया जाता है। जहां पर गत वर्ष गाड़े गए पेड़ को पहले गिरा दिया जाता है तत्पश्चात जंगल से लाए गए पेड़ को खड़ा किया जाता है। यह सब कार्य देव परंपरा के विधि विधान अनुसार ही किया जाता है।