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11 वर्षीय नैना ने दुनियां को अलविदा कर 4 लोगों की जिंदगी में भरी रोशनी

सरकाघाट बस हादसे की शिकार नैना के मौत से पहले दान किए गए अंग

 

परिजनों ने दिया बड़े दिल का परिचय, कठोर बनकर लिया अंगदान का फैसला
3 मार्च को सरकाघाट बस हादसे में बूरी तरह से घायल हो गई थी नैना
ब्रेन हो चुका था पूरी तरह से डेड, पीजीआई में चल रहा था उपचार
डाक्टरों ने दी परिजनों को अंगदान की सलाह, उसके बाद परिजनों ने लिया निर्णय
लेकिन मौत से पहले चार लोगों के जीवन में उजाला कर गई मासूम नैना

जब आपका मासूम बच्चा जिंदगी और मौत से जूझ रहा हो और डाक्टर आकर बोले, कि इसे बचाने का अब कोई उपाय नहीं और आप इसके अंगदान करके इसे पूरी तरह मौत के आगोश में सुला दीजिए, तो आप क्या करेंगे। ऐसा सुनते ही शायद आप होश में न रहें। लेकिन मंडी जिला के धर्मपुर उपमंडल की ग्राम पंचायत लौंगनी के स्याठी गांव के एक परिवार ने अपनी मासूम को मौत के आगोश में सुलाकर चार लोगों की जि़दगी में उजाला कर दिया। बात इस गांव की 11 वर्षीय मासूम नैना ठाकुर की हो रही है। नैना ठाकुर के पिता मनोज कुमार आयुर्वेद विभाग में फार्मासिस्ट के पद पर कुल्लू जिला में कार्यरत हैं। इनकी तीन बेटियां हैं जिनमें नैना सबसे बड़ी थी। बीती 3 मार्च को सरकाघाट उपमंडल के घीड़ गांव के पास एचआरटीसी की बस का जो एक्सीडेंट हुआ था, नैना उसी बस में सवार थी। नैना अपनी छोटी बहन और मामू के साथ कुल्लू से वापिस अपने घर आ रही थी। इस बस दुर्घटना में नैना के सिर पर गहरी चोट लगी थी और उसकी छोटी बहन की टांग में गंभीर चोट आई थी। मेडिकल कालेज नेरचौक में उपचार के बाद उसे पीजीआई चंडीगढ़ रैफर कर दिया गया था, जहां पर डाक्टरों ने उसका ब्रेन डेड डिक्लेयर कर दिया था और उसे लाईफ स्पोर्टिंग सिस्टम पर रखा था।

डाक्टरों ने दी अंगदान की सलाह, परिवार ने दुखी मन से स्वीकारा
पीजीआई के डाक्टरों ने परिजनों को बता दिया कि उनकी बेटी को बचा पाना अब संभव नहीं। ऐसे में परिवार अंगदान करके दूसरों को नई जिंदगी दे सकता है। नैना के पिता मनोज कुमार और दादा जगदीश चंद ठाकुर ने बताया कि अपनी बेटी के अंगदान का फैसला लेना मुश्किल था, लेकिन नैना के सिर्फ एक स्वभाव ने उन्हें ऐसा करने के लिए प्रेरित किया और वह स्वभाव था दयालुता। नैना दूसरों के प्रति बहुत ज्यादा दयालु थी। इसी कारण परिजनों ने उसके अंगदान का निर्णय लिया। शायद इसी से नैना की आत्मा को शांति मिलेगी। 8 मार्च की रात को नैना का पार्थिव शरीर उसके पैतृक गांव लाया गया और पिछले कल यानी 9 मार्च को पूरे रीति रिवाजों के साथ शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया है।परिजनों की मंजूरी के बाद पीजीआई के डाक्टरों ने बॉडी से अंग निकालने का काम शुरु किया। नैना की दो किडनियां दो मरीजों को लगाई गई। यह दोनों मरीज डायलिसिस पर थे। इसी तरह दो कोर्निया दो मरीजों को लगाए गए। ऐसे में वह अब दुनिया को देख पाएगें। पीजीआई की तरफ से जारी प्रेस रिलिज में बताया गया है कि कुछ दिन पहले ही लुधियाना के 20 साल के यश पांडे के ब्रेन डैड होने पर उसके परिवार ने भी ऐसा ही हौसला दिखाया था। उसका दिल, किडनी, पैंक्रियाज और कोर्निया परिवार ने दान किया था। यश भी एक गंभीर सड़क हादसे का शिकार हुआ था।

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