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भगवान रघुनाथ के बसंत उत्सव में उमड़ा आस्था का जनसैलाव

गुरू बशिष्ठ के समक्ष राम भरत मिलन देखने के लिए उमडी लोगों की भीड़

भगवान रघुनाथ की रथ यात्रा में हजारों लोगों ने लिया भाग
कुल्लू जिला में 40 दिन पहले होली उत्सव का हुआ आगाज
बंसत ऋतु के आगमन पर पेड़ पौधो में खिलें रंगबिरेंगे फूल
न्यूज मिशन
कुल्लू
हिमाचल प्रदेश कुल्लू जिला मे  ऐतिहासिक ढालपुर के रथ मैदान में  बसंत पंचमी का त्यौहार हर्षोल्लास से मनाया गया। जिसमें भगवान रघुनाथ की नगरी सुलतानपुर से अधिष्ठाता रघुनाथ की पालकी को वाद्ययंत्रों की थाप के जय घोष के साथ शोभायात्रा रथ मैदान में पहुंची। जहां पर भगवान रघुनाथ को रथ में रघुनाथ जी को बैठाने के बाद विधिवत  पूजा-अर्चना आरती करने के भगवान रघुनाथ के मुख्य छड़ी बरदार महेश्वर सिंह और पुजारी और सेवकों ने ने रथ के चारों और परिक्रमा की। इसके बाद भगवान रघुनाथ का रथ देवता वीरनाथ गौरी के मंदिर के सामने रुक जहां पर राम भारत और हनुमान ने दंडवत करते हुए भगवान रघुनाथ के रथ के पास पहुंचे जहां पर राम भरत मिलन हुआ इसके बाद जय श्रीराम के नारों से श्रद्धालुओं ने रघुनाथ के रथ को खींच कर उनके अस्थायी शिविर तक पहुंचाया। जहां पर समूची घाटी जय श्री राम से गूंज उठी। भगवान रघुनाथ की रथयात्रा में आस्था का जनसैलाव उमंड़ा ढालपुर मैदान मे हजारों की संख्या में श्रद्वालुओं ने भाग लेकर भगवान रघुनाथ के दर्शन किया। प्रतीक रूप में राम, लक्ष्मण, भरत और हनुमान भी इस मौके पर उपस्थित थे। हनुमान की भूमिका बैरागी समुदाय के एक व्यक्ति द्वारा निभाई जाती है। रंग-बिरंगे व अधिकतर पीले वस्त्रों से सजे हुए लोगों ने बसंत पंचमी की इस बेला को करीबी से निहारा। बसंत पंचमी पर हजारों की संख्या में आस्था और श्रद्धा का सैलाब रथ मैदान में उमड़ा। रघुनाथ जी की एक झलक पाने के लिए भक्त लंबी कतारों में देर तक खड़े रहे।  कुल्लू में बसंत पंचमी का आगाज होने के साथ ही रघुनाथपुर की होली भी शुरू हो गई है।
भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह के कहा कि जब भगवान श्रीराम वनवास के लिए गए थे तो भरत उन्हें मनाने गुरु वशिष्ठ जी के साथ वन में गए थे। भगवान श्री राम ने जब देखा कि कुछ लोग उनकी तरफ आ रहे है तो उन्होंने पवन पुत्र हनुमान को उनके बारे में पता लगाने के लिए भेजा। हनुमान ने बताया कि गुरु वशिष्ठ के साथ भरत आए हैं। फिर श्री राम भरत से गले मिले और खड़ाऊं उन्हें दीं तथा वापस भेज दिया।उन्होंने कहाकि पूरे देश में होनी उत्सव मार्च माह मेंमनाया जाएगा। लेकिन कुल्लू जिला में 40 दिन रघुनाथ जी के चरणों में चढ़ेगा  40 दिन तक प्रतिदिन रघुनाथपुर में होली के गीत गाए जाएंगे और भगवान रघुनाथ जी के चरणों में गुलाल चढ़ाया जाएगा क्योंकि महंत राजा के गुरु थे। इसलिए पूरे आयोजन में आज तक महंत समुदाय के लोग इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। गुरु वशिष्ठ की भूमिका भी महंत निभाते हैं तथा हनुमान जी का रूप भी महंत ही धारण करते हैं। उत्सव में हनुमान द्वारा लगाए गए सिंदूर को शुभ माना जता है। इस मौके पर शामिल हुए श्रद्धालु भी काफी उत्साहित दिखे। उनका कहना है कि वो इस समय का इंतजार करते हैं जब भगवान रघुनाथ को रथ पर बिठाकर उनके अस्थायी शिविर तक लाया जाता है। उनका कहना है कि यहां का माहौल काफी भगतिमय रहता है जहां राम-भरत मिलाप की परम्परा भी निभाई जाती है।
भगवान रघुनाथ के कारदार दानविंदर सिंह ने कहा कि रघुनाथ जी इतिहास अयोध्या जी से जुड़ा हुआ और जो अयोध्या जी में जितने त्योहार होते हैं वह यहां भी होते हैं और जिसमें 10 बड़े प्रमुख त्यौहार है जिनमें से एक वसंत है रघुनाथ जी हर वर्ष बसंत पंचमी के दिन अपने मुख्य मंदिर से निकल कर रथ यात्रा होती है इसमें होता है कि भरत मिलाप होता है इसमें एक पुजारी भरत का रूप लेते हैं दूसरा रघुनाथ जी का राम भगवान का और एक व्यक्ति हनुमान बनते है और एक व्यक्ति गुरु बशिष्ठ  एक बनते हैं हनुमान और हनुमान जी के पूरे शरीर में लंगोट लगते हैं और गेरुआ रंग लगाते हैं और यह मानता है कि जिसको वह छाप लग जाएगी उसका कोई शुभ वर्ष जाएगा और उसके लिए अच्छा होगा इसी दिन साइकिल में रघुनाथ जी को यहीं पर कमलासन में विराज जाता है और होली का आगाज होता है होली गेट हैं और उसके पश्चात थी गुलाल डालते हैं सबको गुलाल फेंका जाता है और रघुनाथ मंदिर में 40 दिन तक जाएगा और गुलाल की विशेषता यह है और हल्दी को मिक्स करके बनाएं
 श्रद्धालु सोनाली ठाकुर ने कहा कि देवभूमि कुल्लू जिला में आज बसंत पंचमी का त्योहार धूमधाम के साथ मनाया उन्होंने कहा कि जिला के आराध्य भगवान रघुनाथ के दर्शन किए । और भगवान रघुनाथ के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया उन्होंने कहा कि ऐसे में बसंत उत्सव बसंत ऋतु का आगाज होता है और ऐसी मान्यता है कि बसंत उत्सव से घाटी में पेड़ पौधों में फूल खिलते हैं और ऐसे में मन में अच्छे विचार आते हैं और आज के दिन मां सरस्वती के जन्म उत्सव को भी मनाया जाता है
स्थानीय श्रद्धालु कुसुम गोयल ने कहा कि कुल्लू जिला में भगवान रघुनाथ के बसंत उत्सव का त्योहार धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है उन्होंने कहा कि जहां भगवान रघुनाथ की भव्य रथ यात्रा हुई और वही राम भरत मिलन भी हुआ और हनुमान के भी दर्शन हुए उन्होंने कहा कि बसंत पंचमी पर आज के दिन लोग पीले वस्त्र पहनकर बसंत उत्सव में भाग लेते हैं उन्होंने कहा कि भगवान रघुनाथ को पीला रंग बहुत प्रिय हैं और ऐसे में आज के दिन पीले प्रसाद का भोग भी भगवान रघुनाथ जी को लगाया जाता है और पीले बस्तर भगवान रघुनाथ जी ने धारण किए हैं साल में एक बार बसंत पंचमी का त्यौहार होता है इसलिए लोग बड़ी संख्या में भगवान रघुनाथ के दर्शन के लिए पहुंचे हैं।
 श्रद्धालु अंजलि सूद ने कहा कि आज भगवान रघुनाथ जी अपने मंदिर सुल्तानपुर से भव्य शोभायात्रा से ऐतिहासिक रथ मैदान में पहुंचते हैं और यहां पर रथ मैदान में भव्य रथ यात्रा हुई है और भगवान रघुनाथ के दर्शन हुए हैं उन्होंने कहा कि बसंत उत्सव में बड़ी संख्या में लोग भगवान के दर्शन के लिए पहुंचते हैं और यहां पर राम भरत मिलन भी होता है और हनुमान के भी दर्शन होते हैं उन्होंने कहा कि इस उत्सव में भाग लेने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं और आज से कुल्लू जिला में होली का भी आकाश शुरू होता है और 40 दिनों तक भगवान रघुनाथ जी के मंदिर में महंत समुदाय के लोग पूरे कुल्लू मुख्यालय में 40 दिनों तक होली मनाते हैं।
 स्थानीय श्रद्धालु संसार चंद शर्मा ने कहा कि बसंत उत्सव में भगवान रघुनाथ के दर्शन कर बहुत आनंद आया उन्होंने कहा कि भगवान के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग बसंत उत्सव में भाग लेने के लिए पहुंचे हैं उन्होंने कहा कि पहले बसंत उत्सव भगवान रघुनाथ जी के मंदिर सुल्तानपुर में ही मनाया जाता था लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यह उत्सव धौलपुर रथ मैदान में मनाया जाता है उन्होंने कहा कि बसंत उत्सव को देखने के लिए लोगों का जन सैलाब उमड़ा और यहां पर भगवान के दर्शन कर लोगों ने आशीर्वाद लिया है।

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