लोहड़ी के त्यौहार पर बाजार में खरीददारी के लिए उमड़ी भीड़
100 रूपये से 150 सौ रूपये किलो बिक रही मुंगफली
न्यूज मिशन
कुल्लू
कुल्लू भुंतर में लोहड़ी उत्सव के लिए बाजार पुरी तरह से सज चुके है। और आज शाम को मनाया जाने बाले लोहड़ी उत्सव के लिए लोगों ने जमकर मुंगफली ,रेबड़ी, गच्चक और चिड़वे खरीदे। कुल्लू और भुंतर में रेहड़ी फहड़ी बाले ने बड़ी मात्रा में मुंगफली, रेबड़ी, गच्चक, चिड़वे बेच रहे है। कुल्लू के ढालपुर, सरवरी, आखाडा में लोगों ने लोहड़ी उत्सव के लिए बड़ी मात्रा में मुंगफली, रेबड़ी ,गच्चक व चिड़वे बेच खूब कमाई की। वहीं लोगों ने लोहड़ी उत्सव को मनाने के लिए गांब के लोगों में भी खासा उत्सव देखने को मिला। पंजाब राज्य में मनाया जाने बाला लोहड़ी उत्सव कुल्लू भुंतर में भी जोरशोर से मनाया जा रहा है इसके लिए अब गांब में भी लोग एक दूसरे को मुंगफली, रेबड़ी बांटकर लोहड़ी उत्सव को धूमधाम से मनाते है।इसके लिए गांब लोगों ने भी बाजार में जमकर खरीददारी की। वहीं नगर परिषद अध्यक्ष गोपाल कृष्ण महंत ने बताया कि 12 साल के बाद कुंभ का मेला आयोजित किया जा रहा है इस मकर संक्रांति के दौरान कई छोटे से बड़े लोग बड़े हर्ष उल्लास के साथ मकर संक्रांति को मानते हैं और छोटे बच्चे घर-घर जाकर जब और बड़ों का जब देकर बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं उन्होंने कहा कि मकर संक्रांति के दिन सभी लोग सुबह अपने घरों और तीर्थ स्थान पर स्नान करेंगे और आज शाम रेवड़ी मूंगफली बांटते हैं और देर शाम को चलाया जाता है और फिर लोहड़ी गई जाती है और आने वाले नए साल के लिए सभी को शुभकामनाएं दी। वहीं, मनीषा, निलमा, मीतू जानकारी देते हुए कहाकि कुल्लू लोहड़ी उत्सव सभी जगह के लोग धूमधाम से मनाते है और इसके लिए उन्होंने बाजार में खरीददारी भी है। लोहड़ी उत्सव में सभी छोटे और बड़ो को मुंगफली रेबड़ी गच्छक बांट कर मनाया जाता है वहीं अखाड़ा की प्रिया ने बताया कि पंजाव के लोग इस त्यौहार को नया साल के रूप में बड़ी धूमधाम से मनाते है, और शाम के समय सभी लोग घरों में आग जला कर और एक दुसरे को मिठाईयां दे कर बधाई देते है। वहीं राजेश का कहना है कि यह माग का साजा महत्व पूर्ण मानाना जाता है। इस त्यौहार को लेकर लोगों में काफी उत्साह होता है। और लोगों को अपने रिशेतेदारों के यहॉ आना जाना रहता है। और आपस में मिष्ठान और व्जनों को भी वांटते है, खास तौर पर यह त्यौहार घाटी में बढ़े हर्षोउलास से मनाया जाता है। घाटी में भल्ले और सिडडू व्यंजन को मनाते है। जिससे हमारी संसस्कृति को एक जोड़ कर रखती है।