प्राचीन पंरपरा का निर्वहन न करने से देवी देवता मानव जाति से नाराज- राम लाल
माता श्रीफुंगणी परमेश्वरी के पवित्र स्थल धर्मसोह में हुआ 7 देवी- देवताओं का हुआ हार मिलन
देवी देवताओं के धार्मिक स्थलों से छेड़छेडा से देवता हुए रूष्ट, मानव जाति के लिए घातक सिद्ध हो सकता है
न्यूज मिशन
कुल्लू
कुल्लू जिला में ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा,21 प्रविष्टे तदानुसार 04 जून 2023 रविवार को लगघाटी के शालंग गांव में माता श्रीफुंगणी परमेश्वरी के पवित्र स्थल धर्मसोह में पावन पर्व पर भव्य हारमिलन हुआ। इस दौैरान आदिकाल से चली आ रही देव परम्परा के अनुसार प्रत्येक पांच वर्ष के उपरांत पवित्र स्थल धर्मसोह में मां श्रीफुंगणी परमेश्वरी व नारायण देवताओं (भाई-बहन) का भव्य मिलन होता है। इस पावन हारमिलंग पर्व में मां श्रीफुंगणी परमेश्वरी व देवताओं में कतरुसी नारायण, त्रियुगी नारायण, पंचाली नारायण, नाग शिवराड़ी नारायण, हुंरग नारायण, वीर नाथ तथा थान क्षेत्रपाल समस्त कारकुन व हारयान संग सम्मिलित हुए। सर्व प्रथम मां श्रीफुंगणी परमेश्वरी के कुलपुरोहित व गुर धर्मसोह परिसर में प्रवेश करते हैं, तदोपरांत समस्त देवता कारकुन व हारयान संग प्रवेश करते हैं। देवकथा के अनुसार आदिकाल में नारायण देवताओं ने इस पावन स्थल पर पहुंच कर मां श्रीफुंगणी परमेश्वरी से धर्म का रिश्ता निभाया था। मां श्रीफुंगणी परमेश्वरी को सभी नारायण देवताओं ने अपनी धर्मबहन माना था और आदिकाल में इस पवित्र स्थल का नामकरण धर्मसोह हुआ। अतः एव प्रत्येक पांच वर्ष के उपरांत यहां पधार कर सभी भाई-बहन देव परम्परा का निर्वाहन करते हैं।
वही माता फंगणी के कारदार ने बताया कि 5 वर्ष के बाद 8 देवी-देवताओं का हार मिलन होता है, इस हारमिलन में देवी देवता अपने सुख दुख को बांटते हैं उन्होंने बताया कि पहले 7 बर्ष के वाद देवताओं को मिलन होता थ अव यह 5 देवी देवताओं का हार मिलन होता हैं।उन्हाने बताया कि ग्रामंग और तिउन में हर साल होता है।प्राचीन काल से 5 साल के बाद इसका हार मिलन धर्म सोह नामक स्थान पर होता है प्राचीन काल से यह परंपरा को निभाया जा रहा है उन्होंने कहा कि देवता के गुर के माध्यम से भी भविष्यवाणी की है कि घोर कलयुग में अच्छे आदमी भी है और बुरे लोग भी है जो कि समाज में दुष्प्रभाव फैलाने वाले लोग भी हैं माता ने यह भविष्यवाणी की है कि आने वाला काल मानव जाति के लिए घातक सिद्ध हो सकता है अगर मानव जाति पुराने रीति-रिवाजों के साथ न चले तो पूरे विश्व के लिए अच्छा नही होगा। अगर देश में पुरानी प्रथा को खत्म किया गया तो आने वाले भविष्य मानव जाति के लिए और भी घातक सिद्ध हो सकता है उन्होंने कहा कि इस हार मिलन में 8 देवी देवता सम्मिलित हुए हैं। जिसमें कतरूसी नारायण, त्रिजुगी नारायण, पंचाली नारायण, फलानी नारायण, वीर नाथ थाच और देवता क्षेत्रपाल थान उपस्थित रहे। सभी देवी देवताओं ने यह भविष्यवाणी की है कि अगर मानव जाति पुरानी रीति-रिवाजों के अनुसार चले तो आने वाला समय भी अच्छा होगा अगर देव प्रथा को नहीं चले तो कभी भी मानव जाति पर संकट आ सकता है। उन्होंने कहा कि जिसका कारण देवी देवताओं के धार्मिक स्थलों पर कई प्रकार के लोग जा रहे हैं और कई प्रकार की निषेद वस्तुएं मानव ले जा रहे हैं जिससे कि देवी-देवताओं ने नाराजगी जाहिर की है सभी देवी देवताओं ने कहा है कि अगर अभी भी इन देव स्थलों पर हवन पाठ किया जाए तो आने वाला समय मानव जाति के लिए अच्छा होगा।
वही कतरूसी नारायण के कारदार रूम सिंह नेगी ने बताया कि जब सतयुग में देवी देवता आए थे जो कि घाटी के मुख्य देवता आए थ इस धर्म सोह में माता फुंगणी ने धर्म को रिशता डाला था तवसे यह पुरानी प्रथा चली आ रही है उन्होंने कहा कि पहले यह 7 वर्ष के बाद जेष्ट मास में होती है लेकिन अब 5 वर्ष के बाद जेष्ठ मास में होती है और जिसमें सात देवता व माता फुंगणी भाग लेती है उन्होंने कहा कि देवता ने गूर के माध्यम से कहा है कि जितने भी उनके धार्मिक स्थल हैं उनसे छेड़खानी न हो किसी प्रकार के निषेद पद्वार्थ न ले जाए उन्हें बनाए रखो जितने भी पुरानी परंपरा है। उसका निर्वहन भी अच्छे से हो साथ ही कहा कि अगर इनका उल्लंघन हुआ तो मानव जाति के लिए संकट भी पैदा हो सकता है।