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शालंग में देव आज्ञानुसार 20 साल बाद किया कुष्टू काहिका छिद्रा का आयोजन- लीलाधर ठाकुर

कहा- कुष्ठु काहिका में घाटी की सुख शांति शांति लिए हारियानों ने देवता थान से लिया आर्शिवाद

न्यूज मिशन

कुल्लू

कुल्लू जिला की लगघाटी के शालंग में  20 बर्षो के बाद  देवआज्ञानुससार धार्मिक कुष्टू काहिका का आयोजन किया गया । जिसको देखने के लिए कआसपास के क्षेत्रों के  सैकड़ों लोगों की भीड़ उमड़ी। कुष्टू काहिका में   देव वाध्ययंत्रों की देवधूनों पर  देवरथों के साथ काहिका में देवताओं ने परिक्रमा की।देवभूमि कुल्लू के सैकड़ों देवी-देवताओं में पनपी नाराजगी को दूर करने के लिए शनिबार को धार्मिक कुष्टु काहिका का आयोजन किया गया।  इस धार्मिक कार्यक्रम की रस्मों को घाटी के देवता की अगवाई में पूरा किया गया, तो नड़ व उसकी पत्नी के माध्यम से छिद्रा अर्थात प्रायश्चित करवाकर देवताओं की नाराजगी को दूर किया गया। काहिका को लेकर देवता के माध्यम से पहले फैसला लिया गया था और 20 सालों के बाद यह निर्णय के तहत काहिका उत्सव के जरिए छिद्रा की प्रक्रिया को निभाया गया। हालांकि यह कुष्ठु अर्थात सुक्ष्म काहिका था और इसमें नड़ को मारने की प्रक्रिया नहीं हुई। काहिका उत्सव की रस्मों का आगाज देवता थान के दरबार में हुआ,।

देवता थान शालंग के  कारदार लीलाधर ने बताया कि देवता का छिद्रा देवता के सदहार मिलन के दौरान किया गया था। उन्होंने कहा कि इस कुष्ठु काहिका का आयोजन गांव की भली भलाई और घाटी के सुख शांति के लिए देवज्ञानुसार किया गया है और यह 20 सालों के बाद किया गया। उन्होंने कहा कि देवता की आज्ञा अनुसार ही इस कार्य को अंजाम दिया गया और देवता ने सभी घाटी वासियों के लिए सुख शांति का आशीर्वाद भी दिया।उन्होंने कहाकि देवता से देश प्रदेशा वासियों की सूख शांति के लिए कामनाएं की।

नड़ कालूराम ने बताया कि जब भी गांव में कोई आपदा हो या कोई आपस में या फिर घर परिवार वाले मनमुटाव हो तो देवता गुर के माध्यम से बताता है कि तब इस कुष्ठु काहिका का आयोजन शुद्धि के लिए किया जाता है। ताकि आगे लोग सही रास्ते पर चले।

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