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भगवान रघुनाथ की नगरी देवभूमि कुल्लू जिला में खूब उड़ा गुलाल

ढोल नगाड़ों के साथ टोलियों में लोगों निभाई होली की परंपरा दिया आपसी भाईचारें का संदेश

 

कुल्लू में  कहीं ढोल नगाड़ों की थाप पर तो कहीं युवाओं की टोलियों ने जमाया रंग

न्यूज मिशन

कुल्लू
देवभूमि कुल्लू जिला भगवान रघुनाथ के नगरी में  बुराई पर अच्छाई का प्रतीक होली उत्सव  हर्षोल्लास के साथ मनाया।पूरे जिला में ढाल नगाड़ों की धून पर सैंकड़ो टोलिया में शहर शहर गांव गांव में  होली पर लोगों ने खूब गुलाल उड़ाया और एक दूसरे को रंगविरेंगे रंग लगाकर आपसी भाईचारें का संदेश दिया। कुल्लू शहर में होली पर जहां वैरागी समुदाय के लोगों ने व्रज भाषा में होली गीत गाकर होली की प्राचीन  परंपरा निभाई वहीं कुल्लू शहर के ढालपुर, लोअर ढालपुर, सरबरी, अखाड़ा बाजार, गांधीनगर, शारूत्रीनगर सहित  मणिकर्ण ,पतलीकूहल, भुंतर  मनाली में  होली उत्सव की धूूम रही । कई स्थानों पर महिलाओं ने अलग टोलियां निकालकर एक दूसरे पर रंग बरसाया। होली को लेकर सुबह से ही लोगों में उत्साह देखने को मिला और लोगों ने सुबह 8 बजे से ही शहर में निकलकर होली मनाना शुरू किया जो दोपहर होली मनाने वालों का काफिला खूब बढ़ा और दिनभर लोग खूब मस्ती करते हुए दिखाई दिए

कुल्लू की होली अपने आप में अनूठी है। यहां पर देशभर की होली से एक दिन पूर्व होली मनाने की परंपरा है। इसका आयोजन एक दो दिन नहीं बल्कि 40 दिन तक चलता है। बसंत पंचमी में भगवान रघुनाथ के ढालपुर आगमन के बाद से ही कुल्लू की होली का आगाज होता है। इसके बाद लगातार भगवान रघुनाथ के दर पर बैरागी समुदाय द्वारा होली गायन होता है। इस समुदाय के लोग एक दूसरे के घरों व मंदिरों में जाकर होली मनाते हुए गुलाल उड़ाते हैं और होली के गीत गाते हैं। उसके बाद जब होली को आठ दिन शेष रहते हैं तो उस दिन से इस समुदाय की होली में होलाष्ठक शुरू होते हैं। जिसमें इस समुदाय के लोग रघुनाथ जी को हर दिन गुलाल लगाते हैं और आठवें दिन होली का उत्सव मनाया जाता है। इस समुदाय के लोग विशेष होली मनाते हैं उनकी यह होली ब्रज में मनाई जाने वाली होली की तर्ज पर होती है। ब्रज की भाषा में होली के गीत वृंदावन के बाद कुल्लू घाटी में ही गूंजते हैं। परंपरागत इन गीतों को गाते हुए यह समुदाय 40 दिनों तक इस होली उत्सव को मनाता है। समुदाय के लोग अनेकों होली के गीत गाते हैं जो ब्रज भाषा में गाए जाते हैं और ब्रज की होली की याद दिलाते हैं। होली के इन गीतों को रंगत देने के लिए वैरागी समुदाय के लोग डफली और झांझ आदि साज का इस्तेमाल करते हैं। इन साजों का प्रयोग भी सिर्फ ब्रज में ही होता है।

देवभूमि कुल्लू में वैरागी  समुदाय के गुरु पेयहारी बाबा ने की वैष्णव धर्म की स्थापना
देवभूमि कुल्लू जिला में वैरागी समुदाय के गुरू पेयहारी बाबा ने वैष्णब धर्म की स्थापना की।
वैरागी समुदाय द्वारा मनाई जाने वाली यह होली रघुनाथ जी से भी जुडी हुई है। इस होली का संबंध नग्गर के झीडी और राधा कृष्ण मंदिर नग्गर ठावा से भी है। समुदाय के गुरु पेयहारी बाबा यहां रहते थे और उन्हीं की याद में इस समुदाय के लोग टोली बनाकर नग्गर के ठावा और झीड़ी में जाकर भी होली के गीत गाते हैं। समुदाय के लोग हर साल उनके तपोस्थली में होली से एक दिन पहले जाते हैं और पूरा दिन होली के गीत गाते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। 1653 से लगातार इस परंपरा का  निर्वहन किया जा रहा है। भगवान रघुनाथ जी के कुल्लू आगमन से ही बसंत पंचमी के दिन से कुल्लू में होली मनाई जाती है। आज भी लोग इस पुरातन संस्कृति को संजोये हुए हैं। वैरागी समुदाय के लोग रोजाना भगवान रघुनाथ के मंदिर में आकर होली गीत गा कर इसका आगाज करते हैं।
स्थानीय 90 वर्षीय बजुर्ग भवानी चरण भारद्वाज ने कहाकि  होली  कृष्ण काल से वृंदावन में  होली की पंरपरा शुरू हुई है और  कुल्लू जिला में भगवान रघुनाथ के आगमन के साथ होली  की शुरूआत हुई है।उन्होंने कहाकि वैरागी समुदाय के लोगों ने होली की प्राचीन पंरपरा का निर्हवन किया जाता है।उन्होंने कहाकि कुल्लू जिला में वंसत उत्सव से 40 दिनों तक होली का उत्सव मनाया जाता है।उन्होने कहाकि होलाष्क में 8,9 दिनों तक भगवान रघुनाथ मंदिर में  हर रोज शाम को होली गायन होता है।उन्होंने कहाकि कुल्लू में शांति के साथ आपसी भाईचारे में होली उत्सव को मनाया जाता है।

स्थानीय निवासी तारा,अंजली,उमेश्वरी गौरी ने बतायाकि सालभर में होली का पूर्व एक बार आता है जब  अपने मित्र,रिश्तेदारों पड़ोसियों के साथ होली के अनेक  रंग लगाकर खूशियां बांटते है।उन्होंने कहाकि होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है ऐसे में आज के दिन सभी लाेग एक दूसरे से मनमिटाव भुलाकर रंग लगाकर गले मिलकर मनमुटाव खत्म करते है।

गौर रहे कि  जिला कुल्लू में देशभर में मनाई जाने वाली होली से एक दिन पहले होली उत्सव धूमधाम से मनाया। यहां कुल्लू की गलियों में कहीं ढोल नगाड़ोंं की थाप पर लोगों ने होली मनाई तो कहीं युवाओं की टोलियों ने खूब रंग जमाया। भगवान रघुनाथ की नगरी में पूर्णिमा  के हिसाब से होली 2 दिनों तक होली मनाई जाती है ऐसे में जहां कुल्लू में फाग उत्सव के साथ् होली संपन्न होती तो देशभर में होली की शुरूआत होती है।

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