कुल्लूबड़ी खबरहिमाचल प्रदेश

सरकार नई शिक्षा नीति के माध्यम से कर रही शिक्षा का व्यापारीकरण और भगवाकरण -दिनीत दंटा

कहा- गैर लोकतांत्रिक तरीके से देश के युवाओं पर थोपी जा रही नई शिक्षा नीति

नई शिक्षा नीति के खिलाफ कुल्लू महाविद्यालय में एसएफआई ने किया धरना प्रदर्शन
न्यूज मिशन
कुल्लू
पूरे प्रदेश में एसएफआई के द्वारा नई शिक्षा नीति के खिलाफ अखिल भारतीय जत्था कार्यक्रम के माध्यम से विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है वही कुल्लू महाविद्यालय में सफाई के द्वारा अखिल भारतीय जत्था विनोद कार्यक्रम के माध्यम से रोष रैली निकाली इस दौरान कुल्लू महाविद्यालय के परिसर में एसएफआई के द्वारा केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की इस दौरान एसएफआई के कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार पर जबरन नई शिक्षा नीति थोपने का आरोप लगाया।
अखिल भारतीय एसएफआई के क ज्वाइंट सेक्रेट्री दिनीट दंटा ने कहा अखिल भारतीय कमेटी के आह्वान पर एसएफआई के द्वारा पूरे देश भर में अखिल भारतीय जत्था कार्यक्रम का आयोजित किया जा रहा है जिसमें 1 अगस्त से 15 सितंबर तक पूरे देश भर में ऐसा साई के द्वारा शिक्षा बचाओ संविधान बचाओ देश बचाओ के नारे से पांच भागों में विभिन्न महाविद्यालयों में धरने प्रदर्शन का आयोजन किया जा रहा है । उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति गैर लोकतांत्रिक तरीके से देश की जनता के ऊपर थोपी गई है उन्होंने कहा कि इस शिक्षा नीति में ना शिक्षाविदों की राय ली गई और ना तो लोकतंत्र तरीके से सदन के पटल पर रखा गया जिस प्रकार से भाजपा और आरएसएस के एजेंडा पूरा करने के लिए नई शिक्षा नीति को देश के युवाओं पर जबरन थोपी जा रही है उन्होंने कहा कि आने वाले समय में जिस व्यक्ति के पास पैसा नहीं होगा उस व्यक्ति को शिक्षा के लिए  सरकार जिम्मेवारी से भाग रही है शिक्षा के व्यापारी करण किया जा रहा है उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के माध्यम से जिस प्रकार से सिलेबस में परिवर्तन किया जा रहा है। और सावरकर जैसे व्यक्ति को भी बनाने की बात की जा रही है। नई शिक्षा के माध्यम से सरकार शिक्षा के व्यापारी कर्म तो कर रही है और साथ ही शिक्षा का भगवाकरण भी किया जा रहा है। ताकि पूरे देश भर में जब से के माध्यम से छात्रों के बीच जाकर लोगों का समर्थन जुटाने की कोशिश की जा रही है। इस मंत्र के साथ आने वाले समय के अंदर शिक्षा के निजीकरण और भगवाकरण के खिलाफ एक मुहिम पूरे देश के अंदर चलाएंगे। क्या की नई शिक्षा नीति के अंदर जिस प्रकार से सरकार ने ड्राफ्ट तैयार किया है। शिक्षा को खुले बाजार की वस्तु के रूप में देखा जा रहा है और शिक्षकों छात्रों की नजर से नहीं देखा जा रहा है। और सरकार अपनी जिम्मेदारी से भागती हुई नजर आ रही है और उन्होंने कहा कि शिक्षा के निजीकरण से हर गली मोहल्ले में कॉलेज और यूनिवर्सिटी खुलेगी जिसस आने वाले समय में छात्र को ग्राहक बनाया जाएगा जिससे जिसके पास धन नहीं होगा वह शिक्षक नहीं कर पाएगा सरकार आने वाले समय में महाविद्यालयों को ग्रांट नहीं देगी जिसके चलते महाविद्यालय को निजी हाथों में बेचा जाएगा जहां पर यूजी की फीस जहां अभी दो ढाई हजार रुपए हैं आने वाले समय में वही 30-40 ₹50000 होगी जहां पर गरीब बेरोजगार किसान के बच्चों को शिक्षा छूट जाएगी और इससे आने वाले समय में दुष्ट परिणाम साबित होंगे। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में सरकार नई शिक्षा नीति के तहत स्किल डेवलपमेंट जैसे कोर्स चला रही है जिससे देश में बेरोजगारी बढ़ेगी। युवाओं को स्किल डेवलपमेंट के नाम पर बेरोजगारो की फौज खड़ी की जा रही है।

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