कुल्लूधर्म संस्कृतिबड़ी खबरहिमाचल प्रदेश

तीर्थन घाटी गुशैनी में माता गाड़ा दुर्गा के हुम मेले की धूम।

तीन कोठी की आराध्य देवी माता गाड़ा दुर्गा ने तीर्थन नदी की निर्मल जलधारा में किया शाही स्नान।

 

गुशैनी के प्राचीन मन्दिर में माता का आशीर्वाद लेने के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़।

बंजार विधानसभा क्षेत्र के विधायक सुरेन्द्र शौरी ने भी समर्थकों सहित मेले में की शिरकत, लिया माता का आशीर्वाद।

तीर्थन ,बंजार

(परस राम भारती):

– जिला कुल्लू के उपमंडल बंजार में तीर्थन घाटी की देव संस्कृति और सभ्यता बहुत ही प्राचीन और समृद्ध है। यहाँ पूरे साल भर अनगिनत मेलों, त्यौहारों और धार्मिक उत्सवों का आयोजन होता रहता है जो यहां की समृद्ध पहाड़ी संस्कृति को वखूबी दर्शाता है। ये सांस्कृतिक मेले और त्यौहार यहाँ के लोगों के हर्ष, उल्लास, श्रद्धा और खुशी का प्रतीक है।

आज तीर्थन घाटी के केन्द्र बिन्दु गुशैनी में हर वर्ष की भान्ति तीन कोठी की आराध्य देवी माता गाड़ा दुर्गा का प्राचीनतम हुम उत्सव बड़े हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया गया। इस मेले में हजारों की संख्या में स्थानीय लोगों के इलावा कुछ बाहरी राज्यों के पर्यटकों ने भी हिस्सा लिया। इस अवसर पर बंजार विधानसभा क्षेत्र के विधायक सुरेन्द्र शौरी ने भी अपने समर्थकों सहित इस एक दिवसिय हुम मेले में शिरकत की और माता का आशिर्वाद लिया।

तीर्थन घाटी का यह हुम मेला हर साल भादों माह की अमावस्या के दौरान गुशैनी में प्राचीन समय से लेकर बड़े हर्षोल्लास पूर्वक मनाया जाता रहा है। इस पर्व के दौरान यहां की तीन कोठी की आराध्य देवी माता गाड़ा दुर्गा की पालकी को सुंदर लाव लश्कर व वाद्य यंत्रों की थाप पर इसके निवास स्थान प्राचीन मन्दिर गुशैनी लाया जाता है। यहां पर मन्दिर प्रांगण में विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना के बाद अन्य प्राचीन देव परम्पराओं का निर्वहन किया जाता है।

यहां से माता की पालकी को बड़े लाव लश्कर के साथ तीर्थन नदी के दाहिने छोर पर शाही स्नान के लिए लाया तथा इसके पश्चात तीर्थन नदी की पवित्र जलधारा में शाही स्नान करवाया गया।

स्थानीय लोगों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक प्राचीन काल में माता एक कन्या रूप में अवतरित हुई थी और आज के दिन इसी स्थान पर तीर्थन नदी में छलांग लगाकर लुप्त हो गई और इसके पश्चात शलवाड़ नामक स्थान पर एक मूर्ति के रुप में प्रकट हुईं थी। उस दौरान आकाशवाणी हुई थी कि मैं दुर्गा के रुप में अवतरित हुई हूं और गुशैनी में मेरा मंदिर बनाया जाए। तब उस समय लोगों ने गुशैनी में मन्दिर का निमार्ण करके इसके अंदर माता की परस्त प्रतिमा को स्थापित किया है।

तीर्थन नदी को स्थानीय भाषा में गाड़ कहते है। नदी यानी गाड़ से उत्पन्न और अवतरित होने के कारण ही माता को गाड़ा दुर्गा के नाम से पुजा जाने लगा और गुशैनी नामक स्थान पर यह हुम पर्व हर साल मनाया जाता है।

बंजार विधानसभा क्षेत्र के विधायक सुरेन्द्र शौरी इस हुम मेले में माता के लाव लश्कर के साथ विशेष रूप से शामिल रहे। इसके पश्चात विधायक ने ग्राम पंचायत पेखड़ी की एक साधारण बैठक में हिस्सा लिया और लोगों की जनसमस्याओं को सुना। विधायक सुरेन्द्र शौरी ने कहा कि यहां के ग्रामीण मेले हमारी संस्कृति के परिचायक होते हैं, इन मेलों त्योहारों और उत्सवों में हमारी परंपरागत संस्कृति के दर्शन होते हैं। इन्होंने बताया कि तीर्थन घाटी में विकास्तमक कार्यों के लिए करोड़ों रुपए की धनराशी का प्रावधान किया गया है। यहां की सड़को, पुलों और जर्जर इमारतों की दशा को सुधारा जाएगा। इन्होंने बताया कि कुछ कार्यों को धरातल स्तर पर उतारने के लिए यहां के स्थानीय लोगों, विभिन संगठनों और जनप्रतिनिधियों के साथ गुशैनी में शीघ्र ही एक बैठक का आयोजन किया जाएगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!
Trending Now