अन्यकुल्लूबड़ी खबरहिमाचल प्रदेश
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए वैज्ञानिकों ने किया मंथन- डॉक्टर विनोद कुमार सिंह
कहा-देशभर में नेशनल इन्नोवेशन ऑन क्लाइमेट रेजिडेंट एग्रीकल्चर ( निकरा) परियोजना के 151 कृषि विज्ञान केंद्रों में किसानों, बागवानों को किया जा रहा जागरक
न्यूज मिशन
कुल्लू कुल्लू जिला में आईसीआर अटारी जोन वन लुधियाना और कृषि विज्ञान केंद्र कुल्लू द्वारा जलवायु लचीला कृषि पर राष्ट्रीय नवाचार परियोजना पर दो दिवसीय कार्यशाला किया गया इस दौरान केंद्रीय बारानी कृषि अनुष्ठान संस्थान हैदराबाद के निदेशक डॉ विनोद कुमार सिंह और आईसीआर अटारी के निदेशक डॉ राजवीर सिंह ने कार्यशाला की अध्यक्षता की जिसमें हिमाचल पंजाब उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के तारा कृषि विज्ञान केंद्रों से आए 50 से अधिक वैज्ञानिकों ने भाग लिया इस कार्यशाला में निकला परियोजना के अंतर्गत इन पांच राज्यों में किए गए अनुसंधान और विकास कार्यों पर समीक्षा की गई जिसमें वित्तीय वर्ष 2022 23 के लिए कार्य योजना भी तैयार की गई। इस कार्यशाला में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने पर वैज्ञानिकों ने मंथन किया और कृषि पशुपालन मत्स्य पालन और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन अनुसंधान को शामिल करने पर जोर दिया ।
भारत सरकार कृषि विभाग के निदेशक क्रीड़ा हैदराबाद डॉक्टर डॉक्टर विनोद कुमार सिंह ने कहा कि पूरे विश्व की समस्या जलवायु परिवर्तन है ऐसे में देश में भी लगातार जलवायु परिवर्तन से का सीधा असर फसलों पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से कृषि के पर इसका क्या प्रभाव है इसको लेकर नेशनल इन्नोवेशन ऑन क्लाइमेट रेजिडेंट एग्रीकल्चर ( निकरा) परियोजना के द्वारा कार्य किया जा रहा है उन्होंने कहा कि देशभर के 151 जिला में इस परियोजना के अंतर्गत 151 जिला में कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से चलाई जा रही है उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य है कि जलवायु परिवर्तन के इस माहौल में कृषि बागवानी को कैसे आगे बढ़ा सके और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से फसल जीव जंतु मिट्टी और आम व्यक्ति के स्वास्थ्य को अच्छा बना सके इस दिशा में प्रयास किया जा रहा है उन्होंने कहा कि दो दिवसीय कार्यशाला में अटारी लुधियाना के माध्यम से चर्चा की गई जिसमें तारा कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने जिसमें पंजाब जम्मू कश्मीर हिमाचल प्रदेश लेह लद्दाख उत्तराखंड से इकट्ठे होकर अपने अनुभवों को साझा किया है उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला में जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए पिछले 11 वर्षों में वैज्ञानिकों ने समीक्षा कर रणनीति तैयार की है । उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रति कृषि सुमुधशील हो। उन्होंने कहा कि वातावरण में बढ़ते ग्रीन हाउस गैस कार्बन के बढ़ते प्रभाव को कम करने में कैसे प्रभावी हो और मृदा का स्वास्थ्य अच्छा हो जिससे फसलों की गुणवत्ता अच्छी हो। जिससे हमारा पूरा चक्कर चाहे मनुष्य जीव जंतु पशुधन और हमारे वनस्पति आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ संसाधन दे सके इस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं उन्होंने कहा कि आने वाले 5 राज्यों में 5 सालों के लिए आगामी कार्यक्रम रूपरेखा तैयार की गई है जिसके तहत विभिन्न तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं और किसानों बागवानों को जागरुक किया जा रहा है
|
|