शिक्षा में वो शक्ति है जो राष्ट्र को बदल सकती है – गोविंद ठाकुर
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत पुरस्कृत की उत्कृष्ट एसएमसी
शिक्षा में वो शक्ति है जो राष्ट्र को बदल सकती है – गोविंद ठाकुर
समाज में परिवर्तन लाने के लिये पहल अपने से करनी होगी
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत पुरस्कृत की उत्कृष्ट एसएमसी
कुल्लू 27 मार्च।
शिक्षा में वो शक्ति है जो किसी भी राष्ट्र में बदलाव ला सकती है। इसलिये जरूरी है कि समाज में प्रत्येक व्यक्ति अच्छी से अच्छी शिक्षा ग्रहण करके न केवल अपने आप को जीवन में आने वाली कठिनाईयों से पार पाने में सक्षम बने, बल्कि समाज को बदलने का मादा भी उसके अंदर उत्पन्न हो। यह बात शिक्षा व कला, भाषा एवं संस्कृति मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने अटल सदन कुल्लू के सभागार में समग्र शिक्षा अभियान के तहत जिला स्तरीय सामुदायिक सहभागिता कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कही।
गोविंद ठाकुर ने कहा कि समाज में परिवर्तन लाने के लिये जरूरी है कि सबसे पहले अपने आप में परिवर्तन लाया जाए। उन्होंने कहा कि अध्यापन कार्य से जुडें़ लोगों को ईश्वर ने विशेष कृपा की है, इसलिये अध्यापन कार्य के लिये शिक्षण संस्थानों में तथा समाज में एक सकारात्मक माहौल का निर्माण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दशकों से हमारी शिक्षा पद्वति में खामियां थी। व्यक्ति को स्वार्थी बनाने का काम भी त्रुटिपूर्ण शिक्षा का ही नतीजा है। उन्होंने कहा कि समाज को मजबूत बनाना है तो व्यक्ति को निजी योगदान का आंकलन करना होगा। समाज में डिमाण्डिग होने की प्रवृति को रोकना होगा और कर्तव्यों के प्रति सजग बनाना होगा।
शिक्षा मंत्री ने सरकारी स्कूलों में नामांकन दर को बढ़ाने के लिये समस्त शिक्षकों से चिंता करने की बात कही। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों से बहुत से बच्चे समाज में उच्च पदों पर आसीन हुए हैं, लेकिन अभिभावकों व बच्चों में इन स्कूलों के प्रति सोच की खाई को पाटने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य भारतीय शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाना है और विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास करना है। इस नीति में 10 $ 2 का फार्मुला समाप्त करके 5 $ 3 $ 3 $ 4 का फार्मूला दिया गया है। न्यू एजुकेशन पॉलिसी को तैयार करने के दौरान हर छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखा गया है। नए नियम के लाभ और नुकसान पर चर्चा की गई है। इसे तैयार किया जाने के दौरान गांवों और छोटे कस्बों पर भी मुख्य जोर दिया गया है। नई शिक्षा नीति समाज में बड़ा बदलाव लाने में कारगर साबित होगी। विद्यार्थियों का बोझ इसमें कम करने पर जोर दिया गया है। नये फार्मूले की बात करें तो इसके अंतर्गत 5 में से पहले 3 वर्ष खेलकूद व बाकी 2 वर्ष पहली व दूसरी कक्षा से संबंधित है। अगले 3 वर्ष पांचवी तक फिर अगले 3 वर्ष आठवीं तक और अगले 4 वर्ष आठवीं से बारहवीं तक संबंधित है।
विद्यार्थियों के लिए अब दसवीं कक्षा पश्चात चुनी जाने वाली स्ट्रीम को खत्म कर दिया गया है। अब आने वाले समय से छात्र अपना मनपसंद विषय चुन सकते हैं और अपने अनुसार उन विषयों का चुनाव कर सकते हैं जिन्हें वे पढ़ना पसंद करते हो। कॉलेज स्तर पर स्नातक प्रणाली में बड़ा बदलाव किया गया है। अब हर साल का अलग-अलग प्रमाण पत्र छात्रों को दिया जाएगा।
शिक्षा मंत्री ने इस अवसर पर उत्कृष्ट आंकी गई स्कूल प्रबंधन समितियों के अलावा स्वयं सेवी संस्थाओं, स्कूली बच्चों व अध्यापकों को पुरस्कार भी वितरित किये। इससे पूर्व उन्होंने शिक्षा से जुड़ी प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।
डाईट के प्रशिक्षुओं ने इस अवसर पर नुक्कड़, नाटक, गिद्दा तथा मारूणी नृत्य जैसी शानदार प्रस्तुतियों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
उप निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा सुरजीत राव ने स्वागत किया तथा समग्र शिक्षा के उद्देश्यों की जानकारी दी।
उपनिदेशक उच्च शिक्षा शांति लाल शर्मा, उपनिदेशक निरीक्षण महेन्द्र ठाकुर, अरूण कम्बोज, नयना कम्बोज, श्याम कुल्लवी, जिला के विभिन्न भागों से एसएमसी प्रतिनिधि, प्रधानाचार्य, बीआरसी, अध्यापकगण तथा छात्र-छात्राएं कार्यक्रम में मौजूद रहे।
शिक्षा मंत्री ने जिन्हें सम्मानित किया
जिला स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये प्राथमिक पाठशाला चिलागे की एसएमसी, माछन तथा तांदी की एसएमसी, राजकीय माध्यमिक पाठशाला की एसएमसी कोटागे, बिनन तथा जलाफर को क्रमशः पहल, दूसरा व तीसरा पुरस्कार प्रदान किया गया। राजकीय उच्च विद्यालय भलाण, बस्तोरी तथा रवां की एसएमसी तथा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला आनी, खरगा व पुजाली को क्रमश पहला, दूसरा व तीसरा पुरस्कार प्रदान किया गया।
स्वयं सेवा संस्थाओं में कार सेवा दल, साफिया फाउण्डेशन, नवचेतना, चन्द्र आभा मेमोरियल तथा प्रथम फाउण्डेशन को पुरस्कार प्रदान किये गये।
इनके अलावा, राष्ट्रीय स्तर पर कला प्रदर्शन के लिये हरीष, परम्परिक लोक वादन के लिये हीरा व चित्रांकन में शुभम को पुरस्कार प्रदान किये गए।
गोविंद ठाकुर ने इस अवसर हर्षिता, देव कुमार, मानसी अधिकारी, इशिता, रितिका ठाकुर, रूझान, नेहा, श्वेता, पलक, त्रृशा शर्मा, ईशा ठाकुर, पायल, मीनाक्षी, तमन्ना, दिवांग, रागवेन्द्र राणा, अंशल ठाकुर, वेद प्रिया, टीना भारती, प्रभा, निशादेवी, भानुप्रिया को सम्मानित किया। अध्यापकों में मंजेश, बबीता डोगरा, रवि प्रकाश, प्रम पाल, अमरजीत, विशाल सूद, अजय मान, बलबीर ठाकुर, अंजना शर्मा, हेमंत, लेख राज, अंजु हाजरी, अनीता जारजे, सेनम, अमर कुमार, चं्रदावती, करूणा कुमारी, बनीता रानी, अंजुु बाला, अनुपमा, सुरेश कुमार, बनीता तथा अमर सिंह के अलावा खुशबू, बीनू ठाकुर, सुनेहा, रेखा, चुन्नी लाल, कपिल ठाकुर व जोगेन्द्र सिंह को भी मंत्री ने सम्मानित किया।