आपदाओं से निपटने के लिये स्थानीय स्तर पर जानकारी महत्वपूर्ण-प्रशांत सरकैक
जलवायु परिवर्तन पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन सम्पन्न
कुल्लू 11 मार्च
अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी प्रशांत सरकैक ने कहा कि आपदाओं से निपटने के लिये स्थानीय स्तर पर जानकारी अत्यंत महत्वूपर्ण है। आपदा के दौरान नुकसान को कम करने के लिये जो भूमिका स्थनीय जनता निभा सकती है, वही फलकारक होती है। वह जी.बी. पंत हिमालयी पर्यावरण राष्ट्रीय संस्थान कुल्लू में हिमालयी पर्यावरण राष्ट्रीय संस्थान कुल्लू, चतुर्थ प्रतिमान संस्थान बैंगलोर तथा जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण कुल्लू के संयुक्त तत्वावधान में जलवायु परिवर्तन के तहत चरम मौसमी घटनाओं पर दो दिवसीय अंतराष्ट्रीय सम्मेलन के समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण पंचायत स्तर पर तंत्र को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है। यह अधिक महत्वपूर्ण है कि आपदाओं की संभावना की जानकारी स्थानीय तौर पर लोगों को होती है और इसपर आगामी अनुसंधान किया जा सकता है।
सरकैक ने कहा कि यह सम्मेलन वैज्ञानिकों द्वारा किये गये अनुसंधान तथा आम लोगों तक इसकी जानकारी के बीच एक सेतु का कार्य करेगा। सम्मेलन में बहुत से क्रांतिकारी विचार उभर कर सामने आए हैं जिन्हें भविष्य में आपदा प्रबंधन में शामिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि नवोदित वैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तुत किये गये शोधपत्रों में बहुमूल्य ज्ञान को समाज में सांझा किया जा सकता है और इसका उपयोग नीतियां बनाने में भी लाभकारी सिद्ध हो सकता है। उन्होंने कहा कि यह बहुत जरूरी है कि अनुसंधान जमीनी स्तर तक पहुंचे। महज कमरों में भाषण से इसका मूल उद्देश्य हतोत्साहित हो जाता है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से काफी संवेदनशील हैं और इन क्षेत्रों में ठोस पूर्व अनुमान प्रणाली का होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि जी.बी. पंत संस्थान समय समय पर आपदाओं के बारे में जिला आपदा प्रबंधन का मार्गदर्शन कर सकता है।
मौसम विभाग ब्रिटेन के वैज्ञानिक डॉ. ब्रैन गाल्डिंग ने आपदाओं के प्रति लोगों को सचेत करने की चुनौतियों पर प्रस्तुति दी। उन्होंने वर्ष 2021 में अनेक पश्चिमी देशों में आई विभिन्न प्रकार की आपदाओं के बारे में जानकारी दी।
सीएसआईआर बैंगलोर की निदेशक एवं वैज्ञानिक डॉ. श्रीदेवी जाड़े, जी.बी.पंत संस्थान कुल्लू के प्रमुख एवं वैज्ञानिक ई. आर.के. सिंह ने जलवायु परिवर्तन तथा विभिन्न आपदाओं से निपटने पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। सम्मेलन में विश्व के विभिन्न देशों से 190 शोधकर्ताओं ने ऑनलाइन पंजीकरण करवाया। कुल 58 अनुसंधान पेपर प्रस्तुत किये गए जिनमें से 24 को शॉर्टलिस्ट किया।