देव परंपरा संरक्षण विभिन्न देवी देवता से जुड़े अंतरंग पहलुओं व गुरु के मूल संवेदनात्मक पहलू को सर्वहित के लिए बाहर जागृत ना करे-दयानंद गौतम
कहा- देव संस्कृति संरक्षण भावना श्रद्धा आध्यात्मिक का विषय
अटल सदन के सभागार में देव परंपरा संरक्षण संवाद दो दिवसीय कार्यक्रम
न्यूज मिशन
कुल्लू जिला मुख्यालय में अटल सदन सभागार में रूपी सिराज कला मंच संगोष्ठी का आयोजन किया। हिमाचल प्रदेश कला संस्कृति भाषा अकादमी के सहयोग से देव परंपरा संरक्षण संवाद नामक 2 दिवसीय संगोष्ठी के पहले दिवस में आज प्रारंभ में लोक साहित्यकार, लोक सांस्कृतिक विद् श्री जय गोपाल शर्मा एवं लोक गायिका, लोक साहित्यकार श्रीमती सरला चम्वयाल , कमल शास्त्री प्राध्यापक श्री व्यास संस्कृत महाविद्यालय रघुनाथपुर के संयुक्त सहयोग से मां सरस्वती के चरणों में पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य चढ़ाकर मां शारदा के चरणों में दीप प्रज्ज्वलन किया।
मंच के सचिव डॉ दयानंद गौतम ने रूपी सिराज कला मंच का एक संक्षिप्त का इतिहास बनाते हुए बताते हुए पिछले 40 चार दशकों का विस्तृत लेखा-जोखा को सबके साथ साझा किया। इस आयोजन में देवभूमि के लगभग 4 दर्जन साहित्यकारों को आमंत्रित किया गया था। जिसमें मूलतः डॉक्टर दयानंद सारस्वत, जोगेंद्र ठाकुर, जय ठाकुर, यतिन पंडित, घनश्याम शर्मा,भागचंद कारदार करण शर्मा,हरिदत शर्मा, गोपाल शर्मा श्रीमती सरला चम्वयाल आदि विद्वानों – विदुषुओं ने इस परिपेक्ष में अपने-अपने शोध पत्रों को पढ़ा। इस संदर्भ में मंच की उपाध्यक्ष कुंती गौतम ने सभी आमंत्रित वक्ताओं को टोपी मफलर और कुलवी देव चुनरी देकर सम्मानित किया और इस कार्यक्रम पर मूलत देव संस्कृति के मौलिक रूप को यथावत संरक्षित रखने और आज सोशल मीडिया के प्रवाह में हम इन सांस्कृतिक धरोहर को कैसे सुरक्षित रखें , सुरक्षित रखें इस पर विशद वार्तालाप हुआ। संस्था के सचिव डॉक्टर दयानंद गौतम ने अपने वक्तव्य में सभी लोगों का आभार व्यक्त किया और अकादमी द्वारा इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं और सरकार का धन्यवाद भी किया। अध्यक्षीय भाषण में श्री शर्मा ने बहुत पुरातन समय से भगवान शिव के आधिपत्य वाले इस क्षेत्र की महान भूमिका और भगवान शिव के द्वारा ही यहां वैष्णव धर्म की स्थापना में ऋषि मुनियों, देवी देवताओं, यक्ष गंधर्व के अक्षुण्ण सहयोग के साथ भगवान रघुनाथ के इस दिव्य रथ यात्रा और दशहरा उत्सव की महता को बहुत महत्वपूर्ण तरीके से व्याख्यित किया। पहले दिन के अवसान समय में सभी प्रतिभागी भक्तों के साथ एक छाया चित्र प्रस्तुत किया गया और कल श्री व्यास संस्कृत महाविद्यालय के छात्रों के द्वारा अलग से कार्य विधि को पूर्ण किया जाएगा।
लोक सांस्कृतिक विद जय गोपाल शर्मा ने कहा कि रूपी सिराज कला मंच के द्वारा देव परंपरा संरक्षण संवाद कार्यक्रम में कुल्लू जिला के विभिन्न क्षेत्र से देव कारकुनों देव संस्कृति के सुरक्षित समर्थन के लिए अपने-अपने विचार रखे हैं उन्होंने कहा कि कुल्लू जिला में देव संस्कृति के संरक्षण संवर्धन के लिए रूपी सिराज कला मंच के द्वारा एक सराहनीय पहल की जा रही है उन्होंने कहा कि विभिन्न देवी देवताओं के इतिहास परंपराएं के संरक्षण संवर्धन के लिए संवाद कार्यक्रम किए जा रहे हैं।
लोक सांस्कृतिक विद लेक्चर विद्वान जोगिंदर ठाकुर ने कहा कि देवभूमि कुल्लू जिला में देव समाज से जुड़े हुए सभी लोग का दैनिक जीवन देव संस्कृति के आदेश अनुसार चलता है अमेरिका की देव संस्कृति देव परंपराएं देव आस्था स्थापित की गई है उनके अनुसार ही हमार जीवन चलता है उन्होंने कहा कि इस पर संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया था जिसमें देव संस्कृति के संरक्षण संवर्धन देव परंपरा समाज की भलाई और लोक कल्याण के लिए देव संस्कृति देव परंपरा में युवा पीढ़ी अपना योगदान दे इसके लिए इस तरह के संवाद कार्यक्रम का आयोजन होना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियां तक यह देव संस्कृति जीवित रह सके उन्होंने कहा कि देव संस्कृति देव परंपराओं से पर्यावरण संरक्षण और परंपरागत फसलों अनाज का संरक्षण होता है ।