आपदा के 1 वर्ष बाद भी संवेदनशील लंका बेकर क्षेत्र में सुरक्षा के नहीं किए पुख्त प्रबंध
व्यास नदी के चैनेलाइजेशन से मलबे के पहाड़ से बाढ़ से मच सकती है तबाही
व्यास नदी के छोर पर मलबे का पहाड़ बाढ़ में मचाएगी तबाही
लोगों ने सरकार से बरसात में बाढ़ से प्रभावित होने पर उचित प्रबंध करने की की मांग
न्यूज मिशन
कुल्लू
कुल्लू जिला में आपदा के 1 वर्ष बाद भी सरकार प्रशासन ने व्यास नदी के किनारे सबसे संवेदनशील लंका बेकर क्षेत्र में सुरक्षा की दृष्टि से पुख़्ता प्रबंध नहीं किया गया है ऐसे में व्यास नदी के चैनेलाइजेशन से लैफ्ट बैंक की तरफ मलबे का पहाड़ खड़ा कर दिया है लेकिन रिहायशी क्षेत्रों की तरफ सुरक्षा को लेकर पुख्ता प्रबंध नहीं किए है। स्थानीय लोगों की माने तो पिछली बरसात में लंका बेकार की रिहायशी कालोनी में आधा दर्जन मकान जहां बाद में बह गए थे वही करीब 40 से 50 घरों में बाढ़ का मलबा गुस्सा था जिसके चलते गरीब परिवारों को कई दिनों तक घर छोड़कर दूसरे जगह पर शरणार्थी के तौर पर रहना पड़ा था ऐसे में इस वर्ष भी मानसून आने वाली है लेकिन प्रशासन सरकार की तरफ से रिहायशी क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर कोई ठोस प्रबंध नहीं किए गए हैं ऐसे में लोगों को इस बरसात में भी खतरा का अंदेशा है ऐसे में सारे लोगों ने सरकार प्रशासन से मांग की है कि अभी भी बरसात को आने में दो सप्ताह का वक्त बचा है ऐसे में सुरक्षा के लिए क्रेट वॉल लगाई जाए ताकि बाढ़ से रिहायशी क्षेत्र को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके।
स्थानीय निवासी ख्याली देवी ने कहा कि लंका बेकर में पहले व्यास नदी के पानी का बहाव एक बराबर था उन्होंने कहा कैसे में यहां पर पानी के बहाव मोड़ने के लिए एक तरफ मलबे का पहाड़ खड़ा कर दिया जिससे व्यास नदी के सारा बहाव रिहायशी हमारे मकान की तरफ है उन्होंने कहा कि पिछले साल बरसात में व्यास नदी में बाढ़ से मालवा हमारे सारे कमरे में भर गया था और कई दिनों तक घर छोड़कर बाहर शरणार्थी की तरह रहना पड़ा था हमने कहा कि इस बार सरकार हमारा रहने का प्रावधान करें और इस बार ज्यादा खतरा है जिससे हमारे मकान को बाढ़ से बचने के लिए क्रेट लगाई जाए व्यास नदी के किनारे जो मलबे का पहाड़ खड़ा किया है उसको यहां से हटाया जाए और नदी को और गहरा किया जाए ताकि हमको बाढ़ से नुकसान होने से बचाया जा सके।
लंका बेकर के स्थानीय निवासी उत्तम राम ने कहा कि बरसात का समय आ गया है और व्यास नदी में बाढ़ से पहले भी यहां पर कई मकान बह गए हैं और ऐसे में बाढ़ से कई मकानों को खतरा बना हुआ है उन्होंने कहा कि बरसात में व्यास नदी में बाढ़ से हर बार मलवा हमारे मकान के अंदर घुसता है उन्होंने कहा कि ऐसे में हमारा यहां पर जीना मुश्किल है और ऐसे में पहले भी बेघर होकर कई दिनों तक घरों से बाहर रहे हैं उन्होंने कहा कि लंका बेकार का यह संवेदनशील क्षेत्र है जहां पर बरसात आने पर हर बार सैकड़ो लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है उन्होंने कहा कि ऐसे में प्रशासन सरकार रिहायशी क्षेत्र की तरफ सुरक्षा दीवार लगाकर लोगों को राहत प्रदान करें।
स्थानीय निवासी मीना देवी ने कहा कि लंका बेकार में रिहासिक कॉलोनी में सभी को बहुत खतरा है उन्होंने कहा कि बरसात में हर साल बाढ़ से यहां पर नुकसान होता है उन्होंने कहा कि पिछली बार हमारे घरों के अंदर मालवा घुसा था और उस परिवार को परेशानियों का सामना करना पड़ा था उन्होंने कहा कि सुरक्षा को लेकर कोई पुख्ता प्रबंध नहीं किए हैं उन्होंने कहा कि इस बार बरसात से अगर नुकसान होता है तो प्रशासन हमारे रहने की उचित व्यवस्था करें।
स्थानीय निवासी छोरदंग ने लंका बेकार में पिछली बार बरसात से बाढ़ के कारण कई मकानों में बाढ़ का मालवा घुसा था जिसके चलते सैकड़ो लोगों को दो-तीन सप्ताह तक शरणार्थी की तरह कुल्लू महाविद्यालय में रहना पड़ा था उन्होंने कहा कि ऐसे में इस बार भी सुरक्षा को लेकर पुख्ता प्रबंध नहीं किए गए हैं उन्होंने कहा कि दूसरी तरफ नदी मलबा इकट्ठा किया क्या है बाढ़ में नदी का रुख रिहायशी कालोनी की तरफ मुड़ेगा जिसे बाढ़ में भारी नुकसान होने की संभावना बनी हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार प्रशाशन ने लंका बेकर की रिहाई कॉलोनी के लोगों की सुरक्षा के लिए तो कार्बन नहीं किया है जिससे इस बार की प्रसाद में भी नुकसान होने का खतरा मंडरा रहा है।