भगवान रघुनाथ अनाज के ढेर पर विराजे हुए विराजमान
भगवान रघुनाथ को अन्नकूद उत्सव में सैंकड़ो श्रद्वालुओं ने लिया भाग
मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने परम्परा का किया निर्वहन
रघुनाथपुरी में परंपरानुसार मनाया अन्नकूट का त्यौहार
सैंकड़ो श्रद्वालुओं के लिए भंडारे का लिया आंनद
न्यूज मिशन
कुल्लू
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला में अन्नकूट का त्यौहार धूमधाम के साथ मनाया गया। इस मौके पर श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में भगवान रघुनाथ के मंदिर पहुंच कर उनका आशिर्वाद लिया। अन्नकूट त्यौहार को गोवर्धन पूजा से भी जाना जाता है। कुल्लू में इस दिन भगवान रघुनाथ को नए अनाज का भोग लगाया जाता है। इस मौके पर भगवान रघुनाथ का श्रृंगार करके चावल का पहाडनुमा ढेर लगाकर उस पर उन्हें विराजमान करवाया जाता है। माना जाता है कि जिस तरह से भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर गौवंश व ग्वालों की रक्षा की थी उसी तरह कुल्लू में मनाए जाने वाले अन्नकूट त्यौहार को भी गोवर्धन पूजा से जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान रघुनाथ को नया अनाज चढ़ाए जाने से भगवान रघुनाथ फसलों की रक्षा करते हैं और अन्न की कमी न होने का आशीर्वाद देते हैं। अन्नकूट त्यौहार हर वर्ष दीवाली के दूसरे या तीसरे दिन मनाया जाता है जिसके लिए शास्त्र पद्वति के अनुसार दिन का चयन किया जाता है।
भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने बताया कि कुल्लू घाटी में अन्नकूट व गोर्वधन पूजा के नाम से जाना जाती है और अन्नकूट का अर्थ है कि इस मौसम में नए चावल दाल होती है और उसको भगवान के चरणों में अर्पित करते है। उन्हेंने कहा कि गोर्वधन पूजा द्वापर युग से लेकर चली आ रही है और जब से लेकर कुल्लू में रघुनाथ भगवान पदापर्ण हुआ है तब से लेकर अन्नकूट का त्यौहार दीपावली के तुरंत बाद मनाया जाता है और इसे गोवर्धन पूजा कहा जाता है। द्वौपर युग में कृष्ण भगवान के समय में एक बार आंधी तुफान आया और सभी व्याकुल हो गया गाय बछड़े व गवाले इधर उधर शरण ढ़ुढने लगे और उस समय भगवान कृष्ण ने अपनी उंगली पर गोर्वधन पर्वत को उठा लिया और उसके नीचे सबको शरण दी थी। उन्होने कहा कि भगवान राम और कृष्ण में कोई अंतर नहीं है और उन्होंने कहा कि सुल्तानपुर में चावल के ढेर का पर्वत बनाया जाता है और उसके ऊपर भगवान रघुनाथ को नए अनाज के पर्वत पर ढेर पर रखा जाता है। इस तरह से इसको अन्नकूट भी कहते है। सभी लोग भगवान रघुनाथ प्रसाद ग्रहण करते है।उन्होंने कहाकि एक तरफ भगवान को भोग लगाया जाता है और दूसरी तरफ गौमाता की पूजा अर्चना होती है और सभी नए अनाज का भोग गौ ग्रास के रूप में गौमाता को थाली में परोसा जाता है। उहोंने कहाकि इस तरफ द्वापर युग से यह पम्परा का निर्वहन किया जाता है।श्रद्वालु सुनिता ने बताया कि धार्मिक नगरी सुल्तानपुर में भगवान रघुनाथ का अन्नकूट उत्सव व गोर्वधन पूजा हर साल होती है जिससे आसपास के सैंकड़ो लोग इसमें भाग लेते है और अन्नकूट पर भगवान रघुनाथ की पूजा अर्चना में भाग लेकर आर्शिवाद लेते है।उन्होंने कहाकि अन्नकूट के त्यौहार में महिलाए बड़ी संख्या में भजन कीर्तन करती है और प्रभा के दर्शन कर भोग प्रसाद ग्रहण करती है।उन्होंने कहाकि गोर्वधन पूजा भी होती है जिससे गौमाता की पूजा अर्चना कर नए अनाज का भोग लगाया जाता है।उन्होंने कहाकि इस उत्सव में लोग दूर दूर से भाग लेते है और भगवान श्रद्वालु को आर्शिवाद देते है।यहां पर मौहल भक्तिमय होता है।
स्थानीय श्रद्धालु राज कालिया ने कहा कि अन्नकूट का त्योहार हर साल धूमधाम के साथ मनाया जाता है उन्होंने कहा कि भगवान रघुनाथ के दर्शन होते हैं और दशहरा उत्सव के बाद अन्नकूट के त्यौहार में बड़ी संख्या में लोग भगवान रघुनाथ के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं उन्होंने कहा कि भगवान रघुनाथ को अनाज का भोग लगाया जाता है। उन्होंने कहा कि अन्नकूट के त्योहार पर भगवान रघुनाथ को 56 प्रकार के भोग लगाए जाते हैं ऐसे में भगवान कृष्ण के समय से यह परंपरा चल रही है।
स्थानीय श्रद्धालु रेणुका ने कहा कि भगवान रघुनाथ का अन्नकूट और गोवर्धन पूजा का त्यौहार मनाया जा रहा है उन्होंने कहा कि भगवान रघुनाथ अनाज के पर्वत पर विराजमान होते हैं और उनको देखकर अच्छा लग रह है उन्होंने कहा कि मैं पहली बार अन्नकूट के त्योहार पर भगवान रघुराज के दर्शन किए हैं उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में लोग यहां पर भगवान रघुनाथ के दर्शन और गुणगान के लिए पहुंचे हैं और माहौल धार्मिक है