चायना के संबिधान के मुताविक तिब्बति समुदाय की जनता को दिए जाए मौलिक अधिकार – थूपटन छोफेल
कहा-यूएनओ में तिबतियन ने दलाई लामा की मौजूदगी रखी समझौते की मांग
क चायना ने 5 हजार मठों को नष्ठ कर 12 लाख तिब्बतियन की मौत
ढालपुर मैदान में तिब्बती समुदाय के लोगों मनाई राष्ट्रीय जनकांति की 63 वीं बर्षगाठ
न्यूज मिशन
कुल्लू
कुल्लू के ऐतिहासिक ढालपुर मैदान में तिब्बती समुदाय के लोगों ने राष्ट्रीय जनकांति की 63 वीं बर्षगाठ मनाई ।इस अवसर पर जिलाभर के विभिन्न क्षेत्रों में रह रहे तिब्बती शरणार्थियों ने सैंकड़ो संख्या में इक्कठे होकर भाग लिया और 63 वीं जनक्रांति समारोह में तिब्बत में आजादी के लिए तिब्बती लोगों के संर्घष में बलिदान के लिए श्रद्वाजंली दी गई और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई है। वहीं इस अवसर पर उपस्थित सभी तिब्बती शरणार्थियों को एकता का संदेश दिया गया और चायना के संबिधान के मुताविक के तिब्बति समूदाय अधिकारों की मांग को लेकर कुल्लू शहर में आक्रोश रैली का आयोजन किया । जिसमें चायना के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और चीन में तिब्बती समुदाय के लोगों पर अत्याचार के लिए चीन सरकार को जिम्मेबार ठहराया।
तिब्बतियन सैंटलमेंट कल्याण अधिकारी कुल्लू थूपटन छौफेल ने बताया कि 1959 में चायना की सेना ने तिब्बत पर आक्रमण किया था और उसके बाद तिब्बतियन ने भारत में शरण ली थी।उन्होंने कहाकि चायना के द्वारा तिब्बत पर आक्रमण कर 12 लाख तिब्बतियन की मौत हुई है और करीब 5 हजार बौद्व मठ्ठो को तबाह किया है।उन्होंने कहाकि तिब्बतियन तिब्बत में बौद्व धर्म के अनुयायियों के अधिकारों के लिए भारत में रहकर आंदोलन कर रहे है और जिसके लिए वो भारत सरकार के सहयोग के लिए आभार जताते हुए कहा कि आज वाकि देशों के भी सहयोग की जरूरत है जिससे तिब्बत की आजादी हो सकें। और वहां तिब्बती लोगों को अपने देश में रहने का अधिकार मिलें।उन्होंने कहाकि इंटरनेशन कॉम्यूनिटी से मांग कर रहे है चायना के संबिधान के तहत तिब्बतियन को अपने अधिकारों का हक मिले और जिससे चायना और तिब्बत के बीच दलाईलामा की मौजूदगी समझौता हो जिससे चायना के संबिधान के तहत तिब्बति लोगों को अधिकार दिए जाए और जिसमें चायना के संबिधान तिब्बतियन के अधिकार थे हम उनकी मांग चायना सरकार से कर रहे है।उन्होंने कहाकि 1959 में 80 तिब्बति शारणर्थी आए थे लेकन आज भारत में 1 लाख 30 हजार से अधिक तिब्बति मौजूद है जिसमें विभिन्न देशों में भी 20 हजार तिब्बति शरणार्थी है।