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केन्द्र सरकार द्वारा मज़दूर-किसान तथा आम जनता विरोधी बजट -राजेश ठाकुर

सीटू ने केंद्र सरकार के खिलाफ जिलाधीश कार्यालय कुल्लू के वाहर किया प्रदर्शन

न्यूज मिशन

कुल्लू

केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों तथा संयुक्त किसान मंच के आह्वान पर सीटू तथा हिमाचल किसान सभा कुल्लू ने केन्द्र सरकार द्वारा मज़दूर-किसान तथा आम जनता विरोधी बजट के खिलाफ जिलाधीश कार्यालय कुल्लू के वाहर प्रदर्षन किया गया। प्रदर्षनकारियों द्वारा केन्द्रीय बजट 2025-26 की प्रतियों को जिलाधीश कार्यालय के वाहर जलाया गया। प्रदर्षनकारियों को सम्बोधित करते हुए सीटू राज्य महासचिव प्रेम गौतम ने कहा कि यह बजट गरीव विरोधी है व केवल पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने वाला है। उन्होने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार पूरी तरह पंूजीपतियों के साथ खड़ी हो गई है व आर्थिक संसाधनों को आम जनता से छीनकर अमीरों के हवाले करने के रास्ते पर आगे बढ़ रही है। मोदी सरकार अभी तक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में कई लाख करोड रूपये से अधिक का विनिवेष कर चुकी है तथा बेहद संवेदनषील रणनीतिक रक्षा क्षेत्र को भी इसके दायरे में लाकर यह सरकार पंूजीपतियों के आगे घुटने टेक चुकी है तथा देष केे संसाधनों का दुरूपयोग कर रही है। बजट में बैंक, बीमा, रेलवे,एयरपोर्टों,बन्दरगाहों,ट्रांसपोर्ट,गैस पाईप लाईन, बिजली,सरकारी कम्पनियों के गोदाम व खाली जमीन,सड़कों, स्टेडियम सहित ज़्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का नीजिकरण करके बेचने का रास्ता खोल दिया गया है। बीमा क्षेत्र में सौ प्रतिषत प्रत्यक्ष विदेषी निवेष इसका उदाहरण है। ईज़ ऑफ डूईंग बिजनेस के नारे की आड़ में मज़दूर विरोधी लेबर कोडों व बारह घण्टे की डयूटी को अमलीजामा पहनाकर यह बजट ‘इण्डिया ऑन सेल‘ का बजट है। इस से केवल पूंजीपतियों, उद्योगपतियों को फायदा होने वाला है व गरीव और ज्यादा गरीव होगा।

सीटू जिला महासचिव राजेष ठाकुर ने कहा कि महत्वपूर्ण क्षेत्रों में 2025-26 के बजट आवंटन में कटौती की गई है जिसमें कृशि और संबद्व गतिविधियों में 2.12लाख करोड़, ग्रामीण राज़गार 3302 करोड़, मनरेगा 3268 करोड़, सिंचाई और बाढ़ नियन्त्रण 3390 करोड़,रेलवे बजट 0.07लाख करोड़, प्रधानमन्त्री गरीव कल्याण अन्न योजना 2250 करोड़,मिड डे मील 300करोड़ और खाद्य सब्सिडी 8364 करोड़ रूपये की भारी कटौती की गई है। राज्यों और वित आयोग के लिए आवंटन में भी कमी की गई है,जिससे न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी,बल्कि यह संघवाद की अवधारणा पर भी हमला है।केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों की मंाग के अनुसार बजट में किसानों के लिए वैधानिक एमएसपी, षहरी रोजगार गारण्टी योजना, सार्वजनिक और सरकारी क्षेत्र में रोज़गार सृजन के लिए कदम, असंगठित, अनुबन्धित, अनौपचारिक और ठेका श्रमिकों के लिए ठोस सुझाव, स्कीम वर्करों के लिए एवं सामाजिक सुरक्षा सुनिष्चित करने ,ईपीएफ के तहत पैन्षन में बढ़ौतरी, पैट्र ोलियम उत्पाद षुल्क दरों में कटौती के सबंध में कोई घोशणा नहीं की गई है। जीएसटी कानून कानून में संषोधन के जरिए आवष्यक खाद्य वस्तुओं, दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी न लगाने की मांग पर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया है।उन्होंने कहा कि खुद को गरीवों की सरकार कहने वाली मोदी सरकार गरीवों को खत्म करने पर आमदा है। मज़दूरों के 26 हजार रूपये न्यूनतम वेतन की मांग ज्यों की त्यों खड़ी है।महिला सषक्तिकरण व नारी उत्थान के नारे देने वाली केन्द्र सरकार ने गरीवों व महिलाओं को इस बजट में आर्थिक तौर पर कमजोर किया है। देष का सबसे गरीब तबका व सबसे ज़्यादा महिलाऐं सामाजिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाली मनरेगा व स्कीम वर्करज़ जैसी कल्याणकारी योजनाओं में कार्य करते हैं इन क्षेत्रों में बजट में कोई बढ़ौतरी नहीं की गई है। महत्वपूर्ण खनिजों की खदानों के निजिकरण का रास्ता खोल दिया गया है। परमाणु उर्जा के निजीकरण पर मोहर लग चुकी है। खजाना खाली होने का रोने वाली केन्द्र सरकार ने पंूजीपतियों से लाखों करोड़ रूपये के बकाया टैक्स को वसूलने पर एक षब्द तक नहीं बोला है। सरकार ने पिछले पांच वर्शों में योजना कर्मियों के बजट में लगातार कटौती की है जबकि दूसरी ओर पंूजीपतियों के टैक्स लगातार घटाकर उन्हें भारी राहत दी गई है। टैक्स चोरी करने वाले पूंजीपतियों को पिछले पांच वर्शों में लगातार संरक्षण दिया है जोकि वेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। आंगनबाड़ी, आषा व मिड डे मील कर्मियों से 11 साल पहले यूपीए सरकार के 45वें भारतीय श्रम सम्मेलन में उनके नियमितिकरण के वायदे को मोदी सरकार ने पिछले 10 सालों से रद्दी की टोकरी में डाल दिया है जोकि देष में सरकारी क्षेत्र में सेवाएं देने वाली सबसे गरीव 65 लाख महिलाओं से क्रूर मज़ाक है।

 

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