बैरागी समुदाय के लोग सदियों से भगवान रघुनाथ की प्राचीन परंपराओं का कर रहे निर्वहन-दानवेंद्र सिंह
कहा-भगवान रघुनाथ के 40 उत्सव में 10 उत्सव में निकलते है मंदिर से बाहर
देवभूमि कुल्लू जिला में बैरागी समुदाय के लोग 400 वर्षों से कर रहे प्राचीन परंपरा
भगवान रघुनाथ ने कमल आसन में बैरागी समुदाय के लोगों को दिए दर्शन
मथुरा वृंदावन की तर्ज पर बैरागी समुदाय ने ब्रजभाषा में गाए पारंपारिक होली गीत
कुल्लू जिला में बंसत पंचमी के साथ 40 दिन पहले से हुआ होली का आगाज
न्यूज मिशन
कुल्लू
देवभूमि कुल्लू जिला में भगवान रघुनाथ के मंदिर में बैरागी समुदाय के लोग 400 वर्षों से होली की प्राचीन परंपराओं का निर्वहन करते आ रहे हैं ऐसे में भगवान रघुनाथ के मंदिर में होलाष्टक के साथ हर दिन बैरागी समुदाय के लोग भगवान रघुनाथ के मंदिर में मथुरा वृंदावन की तर्ज पर ब्रजभाषा में प्राचीन होली गीत की प्राचीन परंपरा का निर्वहन किया। भगवान रघुनाथ ने कमल आसन में बैरागी समुदाय के लोगों को दर्शन दिए इस दौरान मुख्य छड़ी बरदार ने महेश्वर सिंह ने बैरागी समुदाय के लोगों पर पीला रंग फैंक कर होली की प्राचीन परंपरा का निर्वहन किया
भगवान रघुनाथ के मुख्य सेवक महेश्वर सिंह ने कहा कि भगवान रघुनाथ आज कमलआसन में वैरागी समुदाय के लोगों को दर्शन देते है।उन्होंने कहाकि बैरागी समुदाय के लोग मथुरा वृंदावन की तर्ज पर होली की प्राचीन परंपरा का निर्वहन किया जाता है उन्होंने कहा कि कुल्लू घाटी में 40 दिन बसंत उत्सव से ही होली की परंपरा शुरू होती है लेकिन होली के आठ दिन पहले से होलाष्टक पर हर दिन बैरागी समुदाय के लोग भगवान रघुनाथ के मंदिर में पहुंचकर होली लाइन की परंपरा निभाते हैं उन्होंने कहा कि आज भगवान रघुनाथ जी बैरागी समुदाय के लोगों को कमल आसन में दर्शन देते हैं और यहां पर प्राचीन परंपरा का निर्वहन किया जाता है
भगवान रघुनाथ् के कारदार दानवेंद्र सिंह ने कहाकि भगवान रघुनाथ के 40 उत्सव होते है और 10 उत्सव में भगवान रघुनाथ ंमंदिर से बाहर निकलते है और श्रद्वालुओं को दर्शन देते है।उन्होने कहाकि भगवान रघुनाथ जी वैरागी समुदाय के है।उन्होंने कहाकि इस बार वसंत उत्सव 14 फरवरी से लेकर भगवान रघुनाथ पर गुलाल फैंका जाता है और होलाष्क में वैरागी समुदाय के लोग होली उत्सव के दूसरे दिन फूल ढोल के साथ विदा होता है।उन्होंने कहाकि वैरागी समुदाय पेयहारी महात्मा के चेले है और उनकी प्र्रेणा से भगवान रघुनाथ जी कुल्लू पधारे है और आज भी पंरपरा है कि जो राजा होंगे उनका बड़ा बेटा वैरागी समुदाय के महंत चेला घोषित किया है और मेरे गुरू महंत राजेंद्र दास है और उन्होंने राम तारक की दीक्षा दी है।उनके पिता कालीदास ने मेरे पिता को राम तारक की दीक्षा दी है।उन्होंन कहाकि वसंत उत्सव में एकादशी मंहत गुरू बशिष्ठ का रूप धारण करते है और हनुमान का रूप भी नरसिंह दास महंत रूप धारण करते है और रघुनाथ की सभी परंपराओं का निर्वहन वैरागी समुदाय के लोग निभाते है।उन्होंने कहाकि वैरागी समुदाय के लोग राजा जगत सिंह के समय से सभी राजाओं की जयकार करते है।उन्होंने कहाकि होली के दूसरे दिन फूल ढोल के कार्यक्रम में इसको भगवान रघुनाथ की तरफ से दक्षिणा देते है और उसके बाद विदाई देते है।
हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू में बसंत पंचमी से ही होली का आगाज हो गया है और होलाष्टक के आरम्भ होते ही वैरागी समुदाय के लोगों के द्वारा भगवान रघुनाथ के दरबार से होली गीत गा कर होली का जश्न मना रहे हैं जो होली के पर्व तक चलेगा इस दौरान वैरागी समुदाय के लोगों के द्वारा घाटी के विभिन्न मदिंरों में जाकर होली गीत गाए जाते हैं और जमकर गुलाल उड़ाया जाता हैं। जिला में बैरागी समुदाय के लोग परंपरागत गीतों को गाते हुए 40 दिनों तक इस होली उत्सव को मनाते हैं। कुल्लू में मनाए जाने वाली यह अनोखी होली बसंत पंचमी से शुरू होती है।
स्थानीय महिला श्रद्धालु हीरा देवी ने कहा कि कुल्लू घाटी में होली का पर्व भगवान रघुनाथ जी से जुड़ा हुआ है उन्होंने कहा कि भगवान रघुनाथ के मंदिर में बैरागी समुदाय के लोग होलाष्टक पर 8 दिनों तक लगातार प्राचीन होली गायन की परंपरा का निर्माण करते हैं और सभी लोग भगवान रघुनाथ के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि होली उत्सव के बाद होली का दहन फाग उत्सव के दूसरे दिन फुल डॉल का कार्यक्रम होता है जिसके साथ होली की प्राचीन परंपरा का निर्भर के साथ संपन्न होती है।
स्थानीय श्रद्वालु प्रतिभा कौशिक ने कहाकि भगवान रघुनाथ से होली उत्सव जुड़ा है और देवभूमि कुल्लू में होली का सभी लोगों को इंतजार रहता है और भगवान रघुनाथ के मंदिर में प्राचीन होली गायन की परंपराओं का निर्वहन करते है।उन्होंने कहाकि वैरागी समुदाय के लोगों को प्राचीन होली गीत गाते है और हमें अच्छा लगता है।
-वैरागी समुदाय के सदस्य प्रेम दास कहाकि होलाष्टक पर आज खास तिथि है जिसमें भगवान वैरागी समुदाय के लोगों को भगवान रधुनाथ कमलआसन में दर्शन देते है। उन्होंने कहाकि हमारा सौभाग्य है कि हमारे पूर्वजों से लेकर होली की प्राचान परंपरा का निर्वाहन करते आ रहे है और भगवान रघुनाथ दर्शन् देते है।