कुल्लूधर्म संस्कृतिबड़ी खबरहिमाचल प्रदेश

अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव देव महाकुंभ में 321  देवी देवता ले रहे भाग-दानवेन्द्र सिंह

कहा-277 देवी देवता निमंत्रण और 44 देवी देवता बिना निमंत्रण पर देव महाकुंभ में पहुंचे

देवता जम्दग्नि ऋषि सहित दर्जनभर देवी देवता  व्यास नदी नहीं करते क्रॉस  खराहल घाटी के अंगु डोभी रहते है  अस्थाई कैंप 
न्यूज मिशन
कुल्लू
अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में इस वर्ष कल 321 देवी देवता भाग ले रहे हैं ऐसे में दशहरा उत्सव समिति के द्वारा 332 देवी देवताओं को दशहरा उत्सव के लिए निमंत्रण भेजा था जिन में से 270 देवी देवता दशहरा उत्सव में पहुंचे हैं जबकि 44 ऐसे देवी देवता है जो बिना निमंत्रण के दशहरा देव महाकुंभ में पहुंचे हैं ऐसे में दशहरा उत्सव समिति के द्वारा सभी देवी देवताओं के अस्थाई शिविर में सभी तरह की मूलभूत सुविधाएं प्रदान की गई है जहां पर देवी देवताओं के स्थाई शिविर में सुबह-शाम विधिवत पूजा अर्चना की जा रही है और कुल्लू जिला के दूरदराज के क्षेत्र से श्रद्धालु देवी देवताओं से दर्शन और आशीर्वाद के लिए बड़ी संख्या में पहुंचकर आशीर्वाद ले रहे हैं।
भगवान रघुनाथ के कार्यादार दानवेंद्र सिंह ने कहा कि इस बार दशहरा उत्सव में   321   देवी देवता भाग ले रहे हैं उन्होंने कहा कि 277 देवी देवता जिनको दशहरा उत्सव समिति की तरफ से निमंत्रण दिया गया है और 44 ऐसे देवी देवता है जो बिना निमंत्रण के दशहरा उत्सव में पहुंचे हैं उन्होंने कहा कि तीन देवी देवता कई वर्षों के बाद दशहरा उत्सव में शिरकत कर रहे हैं जिनमें मनाली सिमसा के कार्तिक स्वामी जो 28 वर्षों के बाद दशहरा उत्सव में भाग ले रहे हैं इसके अलावा मणिकर्ण घाटी के साथ के देवता गौतम ऋषि 60 वर्षों के बाद दशहरा उत्सव में भाग ले रहे हैं उन्होंने कहा कि इसके अलावा निर्माण क्षेत्र के नूर गांव से देवता मार्कंडेय ऋषि कई वर्षों के बाद भाग ले रहे हैं उन्होंने कहा कि कालांतर में मुऑफीदार और गैर मुऑफीदार सैकड़ो देवी देवता विजयदशमी में भाग लेते थे उन्होंने कहा कि दशहरा उत्सव में कोठी सारी और अलग घाटी के देवी देवता विजयदशमी में भाग नहीं लेते हैं उन्होंने कहा कि निर्माण और आने के कई ऐसे देवी देवता है जिनको प्रशासन की तरफ से निमंत्रण दिया जाता है लेकिन वह दशहरा उत्सव में भाग नहीं लेते उन्होंने कहा कि प्राचीन समय में दशहरा उत्सव के लिए मंदिरों को भी निमंत्रण दिया जाता था उन्होंने कहा कि नगर और मलाणा क्षेत्र के दर्जनों देवी देवता दशहरा उत्सव में भाग नहीं लेते जिसमें सबसे प्रमुख देवता जमदग्नि ऋषि मलाणा व्यास नदी को क्रॉस नहीं करते हैं और खरल घाटी के अंगूठी में विराजमान रहते हैं उन्होंने कहा कि देवी देवता भगवान रघुनाथ के पास मोहल्ला दरबार में  हाजिरी भरते हैं और भेंट भी अर्पित करते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!
Trending Now