किन्नौर की ऊंची पहाड़ियों में प्रजन्न केंद्र ज्यूरी के दल ने कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए 389 भेड़ों का किया ईलाज
दिन तक कारा चारागाह में रह कर आसपास के इलाकों में भेड़ प्रजन्न केंद्र की भेड़ों को खोजने का क्रम जारी रखा
प्रजन्न केंद्र ज्यूरी के दल ने कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए 389 भेड़ों का किया ईलाज
न्यूज मिशन
किन्नौर
हिमाचल प्रदेश के स्पीति घाटी के कारा नामक स्थान में 9 जुलाई को बादल फटने से आई बाढ़ के कारण 25 भेड़ पालक और 3 पर्यटक फंस गए थे। जिन में पशु पालन विभाग के भेड़ प्रजन्न केंद्र ज्यूरी के भेड़ों को ले कर गए फार्मासिस्ट और दल के अन्य लोग शामिल थे। उन्हे 12 जुलाई को एनडीआरएफ , आइटीबीपी व होमगार्ड के जवानों ने रेस्क्यू कर किन्नौर के भावा घाटी पहुंचाया था। लेकिन भेड़ प्रजननकेंद्र की 419 भेड़ें विकट परिस्थितियों के कारण वहां लावारिस छोड़नी पड़ी थी। उस के बाद हालात सामान्य होते ही पशुपालन विभाग द्वारा एक 8 सदस्य टीम का गठन कर कारा भेजा गया , इस दल में 2 चिकित्सक भी शामिल थे । उन्होंने 15 दिन तक कारा चारागाह में रह कर आसपास के इलाकों में भेड़ प्रजन्न केंद्र की भेड़ों को खोजने का क्रम जारी रखा। काफी मशक्कत के बाद विभिन्न विकट परिस्थितियों का सामना करते हुए 389 भेड़ों को खोज कर रेस्क्यू किया। पशुपालन विभाग के दल ने इसके अलावा भाबा कंडे एवं साथ लगते क्षेत्रों में अन्य भेड़ पालकों की बीमार भेड़ बकरियों का इलाज किया और दवाइयां भी बांटी। पशुपालन विभाग के इस दल को कारा पहुंचना भी किसी चुनौती से कम नहीं था। लेकिन दल ने हिम्मत बनाए रखा। नदी नालों को जोखिम उठा कर पार किया । भेड़ों को खोजने के बाद उन्हें सुरक्षित स्थान बेस कैंप लाना भी किसी चुनौती से कम नहीं था। दल ने साहस का परिचय देते हुए भेड़ों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया और उस के बाद वापिस लौटा है। इस दल में डॉक्टर अनिल चौहान, डॉ सुरेश कपूर , नरेंद्र कुमार, विजय कायस्थ ,रोशन लाल, रतन दास ,गंगाराम, विद्या सिंह,
भेड़ प्रजनन केंद्र ज्यूरी के सह निदेशक विनोद कुंडी ने अभियान को सफलतापूर्वक बनाने के लिए टीम को बधाई दी है।