कुल्लू के शमशी में सैंकड़ों महिलाओं ने मॉ ज्वालां संग किया लालड़ी नृत्य
कुल्लू के शमशी में सैंकड़ों महिलाओं ने मॉ ज्वालां संग किया लालड़ी नृत्य
माता ज्वाला के सम्मान में 3 दिनों तक विरशू मेले की धूम
देवसंस्कृति के सरंक्षण के लिए युवा भी दे रहे सराहनीय योगदान
कुल्लू
कुल्लू जिला में हिंदु नवबर्ष चैत्र नवारात्रों के साथ देवी देवताओं के सम्मान में मनाए जाने बाले मेले त्यौहार की शुरूआत हुई है।कुल्लू जिला के शमशी में ज्वाला माता के सम्मान में 3 दिवसीय विरशू मेले की शुरूआत हुई है।ज्वाला माता के पंरागण में सैंकड़ों महिलाओं ने सामूहित रूप से प्राचीन लालड़ी नृत्य कर परंपरा का निर्वहन किया इस दौरान ज्वाला माता ने भी श्रद्वालुओं के साथ घंटों नृत्य किया।माता ज्वाला मंदिर में दर्शनो के लिए भक्तों की तांता लगा है।स्थानीय मंदिर कमेटी के द्वारा मेले के उपलक्ष पर विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम खेलों का आयोजन किया जा रहा है।
माता ज्वाला मंदिर के कारदार इंद्र देव ने बताया कि शमशी में प्राचीन काल से ज्वाला माता के सम्मान में विरशू मेले का आयोजन किया जाता है।उन्होंने कहाकि चैत्र नवरात्रे के पहले दिन महिलाओं संग माता ज्वाला नृत्य करती है।उन्होंने कहाकि माता के हारियान सैंकड़ो संख्या में महिलाए लालड़ी नृत्य करती है।उन्होंने कहाकि 3 दिनों तक लालड़ी नृत्य चलेगा।
स्थानीय महिला श्रद्वालु इंद्रा ठाकुर ने बताया कि ये हमारी पुरानी संस्कृति हैं और लालड़ी नृत्य में की सभी महिलांए व युवति कुल्लवी बेश बूशा आ कर लालड़ी नृत्य करती हैं इस दौरान पारंपरिक गीत गाय जाते
हैं जो सदीयों से गाय जाते हैं। इस दिन को महिलांओ को इंततार रहता है। उन्होने बताया कि इस
दौरान माता भी नृत्य करती है। यह मेला तीन दिनों तक चलता हैं। जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्र म और
खेलकूद आदि की प्रतियोगीता करवाई जाती है।
स्थानीय युवा श्रद्वालु ईशा ने बताया कि माता ज्वाला के सम्मान में विरशू मेले प्राचीन काल से मनाया जाता है जिसमें महिलाएं लालड़ी नृत्य कर देवसंस्कृति की परंपराओं का निर्वहन करते है।उन्होंनेकहाकि हम भी अपने बुजुर्गो के इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे है।जिससे देव संस्कृति का सरंक्षण हो कसे।