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365 देवी देवताओं की 84000 बीघा भूमि का हाईकोर्ट   ने कारदारों से मांगा   रिकॉर्ड- ओम प्रकाश शर्मा

कहा- काश्तकार देवी देवताओं का काम संभाले या जमीन छोड़ें

न्यूज मिशन

कुल्लू

कुल्लू जिला में देवभूमि संस्कृति चैरिटेबल ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी ओमप्रकाश शर्मा ने पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि 2014 में 365 देवी देवताओं की 84000 बीघा भूमि  तत्कालीन सरकार ने काश्तकारों के नाम लगाई है।इस मामले में उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी।  उच्च न्यायालय ने 30 अगस्त को कुल्लू जिला के 365 देवी देवताओं के कारदारों से स्टेटस प्रदेश हाईकोर्ट ने तलब किया है। उन्होंने कहा कि देवी देवता नाबालिक है ऐसे में नाबालिक की संपत्ति किसी के नाम नहीं लग सकती है और ना ही उस भूमि को बेचा जा सकता है ऐसे में हाईकोर्ट ने जिला कुल्लू के देवी देवताओं की जो जमीन मुजारा एक्ट के तहत कारदारों और अन्य लोगों को गई है उसका ब्यौरा मांगा गया है। जिसके चलते ट्रस्ट की ओर से जिला के सभी देवी देवताओं के कारदारों को पत्र भेजे जा रहे हैं कि वे अपने देवी देवताओं की जमीन का स्टेटस उपलब्ध करवाएं ताकि हाईकोर्ट में जमा करवाया जा सके। उन्होंने कहा कि अगर कोई देवी देवताओं के कारदार स्टेटस जमा नहीं करवाते हैं तो वह स्वयं ही हाईकोर्ट के साथ जवाबदेय होंगे।
उन्होंने कहा कि देवभूमि संस्कृति चैरिटेबल ट्रस्ट  ने हाईकोर्ट में इसलिए याचिका दायर की थी कि कुल्लू जिला के 365 देवी देवताओं के पास 92 हजार बीघा जमीन थी जिसमें से 84 हजार बीघा जमीन मुजारों के नाम चढ़ी है लेकिन बिडंबना यह है कि कई मुजारों ने जमीन को बेच दिया है। जिससे देव संस्कृति पर इसका सीधा असर पड़ रहा है कि कई लोगों ने देवी देवताओं से संबंधित काम छोड़ दिए हैं ऐसे में देव संस्कृति को बचाने के लिए नंबर है उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है ऐसे में देवी देवताओं के प्रति आस्था बनी रहे और देवी देवताओं की जमीन को इस तरह बेचा न जाए इसके लिए टस्ट्र काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि डीसी और जिला राजस्व अधिकारी भी यह मान चुके हैं कि देवी देवता नाबालिग है और उनकी जमीन को इस तरह से बेचा नहीं जा सकता है। जिसे हाईकोर्ट ने भी देवी देवताओं को नवालिग माना है। उन्होंने कहा कि देवी-देवताओं के कारदार मालिक नहीं है और वह संरक्षक है। उन्होंने कहा कि कारदारों की जिम्मेदारी है कि वह सबन्धित देवी देवताओं की भूमि का रिकॉर्ड उच्च न्यायालय में जमा करें।

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