बड़ी खबरमंडीराजनीतिहिमाचल प्रदेश

हिमाचल की राजनीति के चाणक्य पंडित सुखराम का निधन प्रदेश में शोक की लहर

95 वर्ष की उम्र में दुनियां को कहा अलविदा

न्यूज़ मिशन

मंडी

संचार क्रांति के मसीहा और हिमाचल प्रदेश की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले पूर्व केंद्रीय संचार राज्य मंत्री पंडित सुखराम का देहांत हो गया है। उन्होंने बीती रात करीब डेढ़ बजे दिल्ली स्थित एम्स में अंतिम सांस ली।
बताया जा रहा है कि बीती रात को उन्हें फिर से दिल का दौरा पड़ा, जिस कारण उनका देहांत हो गया। इससे पहले 9 मई की रात को भी उन्हें दिल का दौरा पड़ने के कारण लाईफ स्पोर्ट सिस्टम पर रखा गया था। बीती रात को फिर से दिल का दौरा पड़ने के कारण उनका देहांत हो गया। उनके पोते आश्रय शर्मा ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपने दादा के देहांत की जानकारी दी है। उन्होंने लिखा है ’’अलविदा दादा जी, अब नहीं बजेगी टेलीफोन की घंटी’’।
परिवार से मिली जानकारी के अनुसार आज पंडित सुखराम की पार्थिव देह को दिल्ली से मंडी लाया जाएगा। बताया जा रहा है कि सलापड़, सुंदरनगर, नाचन और बल्ह सहित मंडी सदर में बड़ी संख्या में लोग पंडित सुखराम को श्रद्धांजलि देने के लिए सड़कों पर उमड़ेंगे। कल सुबह 11 बजे पंडित सुखराम की पार्थिव देह को अंतिम दर्शनों के लिए मंडी शहर के ऐतिहासिक सेरी मंच पर रखा जाएगा, जिसके बाद हनुमानघाट स्थित शमशानघाट पर उनका पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। पंडित सुखराम के अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में नेताओं के पहुंचने का अनुमान है।
27 जुलाई 1927 को जन्में पंडित सुखराम ने 1993 से 1996 तक दूरसंचार मंत्रालय बतौर केंद्रीय मंत्री संभाला। 1963 से 1984 तक मंडी संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। 1998 के विधानसभा चुनाव से पहले पंडित सुखराम ने हिमाचल विकास कांग्रेस के गठन का ऐलान किया। पार्टी के हाथ 5 सीटें आ गई। भाजपा व कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत न मिलने के कारण पंडित सुखराम किंग मेकर की भूमिका में आ गए। पंडित सुखराम के समर्थन से धूमल सरकार सत्ता में काबिज हुई। इस सरकार में एक निर्दलीय विधायक की भी अहम भूमिका रही थी।
2004 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने शिमला संसदीय सीट को पंडित जी की पार्टी के लिए छोड़ा। कर्नल धनीराम शांडिल चुनाव जीतने में सफल हुए। 1984 में राजीव गांधी की सरकार में कनिष्ठ मंत्री के तौर पर भी जिम्मेदारी को निभाया। 1998 में मंडी सदर से विधानसभा चुनाव 22 हजार मतों के अंतर से जीता था, ये उस समय जीत का हिमाचल में सबसे बड़ा अंतर था। 2017 में पंडित सुखराम ने बेटे अनिल शर्मा व पौते के साथ भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी।
विधानसभा चुनाव में सदर से जीते बेटे अनिल शर्मा को भाजपा सरकार ने कैबिनेट मंत्री भी बनाया। इसी बीच पोते आश्रय शर्मा ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर मंडी संसदीय सीट से चुनाव लड़ा। बदले राजनीतिक घटनाक्रम में भाजपा सरकार में अनिल शर्मा को मंत्री पद खोना पड़ा था। 2017 में पंडित सुखराम के भाजपा में शामिल होने का ये असर हुआ था कि विधानसभा चुनाव में मंडी में भाजपा की झोली में 10 में से 9 सीटें आ गई थी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!
Trending Now