जनजातीय क्षेत्र चम्बा पांगी के पर्यटन कारोबारियों ने तीर्थन घाटी में सीखा होमस्टे संचालन
ट्रांस हिमालय एडवेंचर कैम्प देहुरी में चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन।
जनजातीय क्षेत्र चम्बा पांगी के पर्यटन कारोबारियों ने तीर्थन घाटी में सीखा होमस्टे संचालन।
ट्रांस हिमालय एडवेंचर कैम्प देहुरी में चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन।
पहाड़ों में सैर सपाटे के दौरान स्थानीय होमस्टे में रुकना पसन्द करते है सैलानी।
दूर दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन व्यवसाय के प्रति लोगों में बढ़ी रूचि।
तीर्थन घाटी गुशैनी बंजार (परस राम भारती):-
हिमाचल प्रदेश में सरकार द्वारा चलाई जा रही होमस्टे योजना यहां के दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को उपयोगी साबित हो रही है। पहाड़ों में घूमने फिरने के शौकीन अधिकतर सैलानी स्थानीय होमस्टे में रुकना पसन्द करते है। पर्यटन व्यवसाय और होमस्टे संचालन के माध्यम से यहां के ग्रामीण एवं ईको टूरिज्म को खूब बढ़ावा मिला है। पर्यटन कारोबार बढ़ने से यहां के स्थानीय लोगों को घरद्वार पर ही आर्थिक रूप से सीधा लाभ मिल रहा है। सरकार द्वारा भी ग्रामीण और दूरदराज इलाकों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय लोगों को शिक्षित प्रशिक्षित और जागरूक करने के प्रयास किए जा रहे है।
इसी कड़ी में हिमाचल प्रदेश के जनजातीय क्षेत्र चम्बा पांगी के लोगों को मिनिस्ट्री ऑफ एनवाईरमेंट फारेस्ट एंड क्लाईमेंट चेंज वन विभाग हिमाचल प्रदेश, ग्राउंड अप कंजर्वेशन, यूएनडीपी, आरईएस, होमस्टे डेवलपमेंट सेवा संस्था लाहौल एवं पांगी, लैंड स्केप स्क्वेयर हिमालय प्रॉजेक्ट और सहारा संस्था के संयुक्त तत्वावधान से तीर्थन घाटी ट्रांस हिमालय एडवेंचर कैम्प देहुरी में चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में जनजातीय क्षेत्र पांगी के 20 लोगों ने हिस्सा लिया। मंगलवार को इस कार्यशाला का समापन हुआ और इस अवसर पर सहारा संस्था के के कला जत्था द्वारा सास्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किया गया।
इस चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला के दौरान पांगी क्षेत्र के लोगों को अनुभवी प्रशिक्षकों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में ईको टूरिज्म की संभावनाओं, होमस्टे संचालन की बारीकियां, पाक कला कुकिंग और रूम सर्विसेज आदि विषयों पर अति महत्त्वपूर्ण एवं ज्ञानवर्धक जानकारियां प्रदान की गई है। इसके अलावा प्रतिभागियों को स्थानीय हेरिटेज वैली होमस्टे और ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के नेचर लर्निग सेंटर का विजिट भी करवाया गया। इस कार्यशाला के दौरान पहाड़ी क्षेत्रों में मौजूद प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण संवर्धन और विलुप्त हो रही सांझी विरासतों को संजोए रखने पर भी चर्चा परिचर्चा हुई। प्रशिक्षक ग्रुप की ओर से सहारा संस्था के निदेशक राजेन्द्र चौहान, वरिष्ठ पत्रकार, पर्यावरण प्रेमी एवं होमस्टे संचालक दौलत भारती, बेंगलौर कर्नाटका राज्य की ईको टूरिज्म विशेषज्ञ अदिति चच्यानी, ईको टूरिज्म के प्रवक्ता नीरज ठाकुर, ईको टूरिज्म फेसिलिटेटर गोविन्द ठाकुर और होटल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट मण्डी से आए विशेषज्ञों ने प्रशिक्षणार्थियों को पर्यटन व्यवसाय से संबंधित विभिन्न विषयों पर विस्तारपूर्वक जानकारियां प्रदान की है।
सहारा संस्था के निदेशक एवं ट्रांस हिमालय कैम्प के संचालक राजेंद्र चौहान ने बताया कि इस चार दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में जनजातीय क्षेत्र पांगी के करीब 20 पर्यटन कारोबारियों ने हिस्सा लिया है जिसमें पांच महिलाएं भी शामिल रही। इन्होंने बताया कि यह वर्षो पहले पर्यटन व्यवसाय से जुड़े हुए हैं तथा साथ ही स्थानीय लोगों को भी जागरूक और प्रशिक्षित करते रहे जिसका परिणाम है कि आज तीर्थन घाटी के कई लोग पर्यटन व्यवसाय से जुड़ अच्छा रोजगार कमा रहे है।
राजेन्द्र चौहान ने जानकारी देते हुए बताया कि हिमाचल प्रदेश में चम्बा जिला के जनजातीय क्षेत्रों पांगी, भरमौर, लाहौल और स्पीति की वादियां इको टूरिज्म, साहसिक, सांस्कृतिक और धार्मिक पर्यटन की संभावनाओं से भरी पड़ी है। इन दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों के स्थानीय लोगों को पर्यटन व्यवसाय के प्रति जागरूक करना और होमस्टे संचालन की जानकारी देना ही इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य है ताकि यहां के लोग भी पर्यटन व्यवसाय से जुड़ कर अपनी आजीविका कमा सके।
इस चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में पांगी क्षेत्र से वीर सिंह, रोबिन सिंह, देवी सिंह, ठाकुरदास, गंगाराम, आकाश, श्याम सिंह, राहुल ठाकुर, सुमन जीत, करण वर्मा, बिट्टू राम, ओम चंद, सूरज राम, मदन सिंह, अभिषेक, सुनीता, अंजलि, मीना देवी, रिंकू देवी और मीना कुमारी आदि ने विशेष रुप से हिस्सा लिया है। इन लोगों का कहना है कि चंबा का किलाड पांगी जनजातीय क्षेत्र भी प्राकृतिक सौन्दर्य और जैव विविधता से भरा पड़ा है। यहां पर अनेकों दुर्लभ पेड़ पौधे, जड़ी बूटियां, पशु पक्षी, नदी नाले, और कई धार्मिक स्थल मौजूद है। इसलिए यह स्थल भी सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। पांगी क्षेत्र में भी ग्रामीण एवं इको टूरिज्म की अपार संभावनाएं बढ़ रही है जिस कारण अब स्थानीय लोग पर्यटन व्यवसाय में अपनी रुचि दिखाते हुए आगे बढ़ रहे हैं।