कुल्लूबड़ी खबरराजनीतिहिमाचल प्रदेश

अधिकारों के प्रति जागरूक होने की जरूरत, ताकि समय रहते मिले लाभ-विभा सिंह.

अब सरकारी वन भूमि पर होंगे जनहित के कई कार्य, लोगों को राहत।

 

एडीएम कुल्लू की अध्यक्ष्ता जिला स्तरीय समिति की बैठक का आयोजन।

बंजार क्षेत्र से 22 सामुदायिक दावों और 5 सड़कों को मिली स्वीकृति।

 

बंजार

आज से करीब 16 वर्ष पूर्व भारत की संसद द्वारा पारित वन अधिकार कानून-2006 को अब हिमाचल प्रदेश में भी लागू करने की कवायद शुरू हो गई है। इस कानून के लागू होने से लोगों को इसके तहत मिलने वाले सभी लाभ मिलेंगे। उपमंडल स्तरीय समिति बंजार द्वारा भेजी गई सामुदायक दावों की 22 फाईलों को जिला स्तरीय समिति की ओर से स्वीकृति मिल गई है। वर्षों इंतजार के बाद अब जय राम सरकार के शासन में इस कानून के धरातल स्तर पर लागू होने की उम्मीद जगी है जिससे लोगों को राहत काफी राहत मिलेगी।

जिला कुल्लु में बुधवार को वन अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत अतिरिक्त जिलाधीश की अध्यक्ष्ता में जिला स्तरिय समिति की बैठक का आयोजन हुआ। इस बैठक में जिला स्तरीय समिति एवं जिला परिषद की सदस्य विभा सिंह, आशा देवी और पूर्ण चन्द विषेष रूप से उपस्थित रहे। बैठक में अन्य विकासात्मक कार्यों के अलावा बंजार क्षेत्र की 22 समुदायक दावा फाइलों पर भी बिस्तृत चर्चा परिचर्चा हुई।

बंजार क्षेत्र के धाऊगी वार्ड से जिला परिषद सदस्य बिभा सिंह ने समुदायक दावो पर चर्चा के दौरान कहा कि बंजार के लोगो ने 2014 में उपमंडल स्तरीय समिति बंजार के समक्ष वन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत 73 दावे पेश किए थे जिनमें से 26 दावे जिला स्तरीय समिति कुल्लू को प्रेषित किये गए हैं। बैठक में बिस्तृत चर्चा के बाद बंजार क्षेत्र की 5 पंचायतों से 22 समुदायक दावा फाइलों और 5 सड़कों को स्वीकृति प्रदान की गई है।
इस चर्चा में जिला परिषद सदस्य पूर्ण चंद और आशा देवी ने भी उनका भरपूर समर्थन किया। इन्होंने कहा हमारा दायित्व बनता है कि लोगो को कानून के अनुसार समय रहते हुए उनके हक हकूक मिलने चहिए।

स्वयंसेवी संस्था सहारा के निदेशक एवं हिमालय नीति अभियान के सदस्य राजेन्द्र चौहान ने जिला स्तरीय समिति के सदस्यों का आभार प्रकट किया है और भविष्य में भी इनके सहयोग की कामना की है। सहारा संस्था के सदस्यों ने लोगों के साथ मिलकर वर्ष 2014 से ही लगातार इस कानून को धरातल पर उतारने का प्रयास किया है। इन्होंने कहा कि लोगो को कानून की जानकारी न होने के कारण वर्ष 2006 में बने इस लोकहित कानून को लागू करने में वर्षों लगे है। बिडम्बना यह है कि अभी तक भी इस कानून से संबंधित जानकारी लोगो को नही दी जा रही है। इनका मानना है कि सरकार के पास बर्षो से लंबित पड़ी हुई दावा फाइलों को पास करने से लोगो के रुके हुए समुदायक और विकासात्मक कार्यो में तेजी आएगी। अब लोग सरकारी वन भूमि पर लोकहित के कई कार्यों को अंजाम दे सकेंगे और वन अधिकार अधिनियम 2006 की असली मंशा भी यही दर्शाती है।

गौरतलब है कि वन अधिकार अधिनियम-2006 के अन्तर्गत 13 प्रकार के समुदायक कार्यों को अंजाम देने के लिए वन अधिकार समिति की ग्राम सभा में 50% वयस्कों और 33% महिलाओ की उपस्थिति होना अनिवार्य है। इस अधिनियम में यह साफ तौर पर लिखा है कि जनहित के 13 प्रकार के कार्यों को करने के लिए स्थानीय लोगों द्वारा सरकारी वन भूमि का प्रयोग किया जा सकता है। अभी भी सरकार द्वारा लोकहित के कार्य को करने के लिए लोगो की निजी भूमि का अधिग्रहण किया जाता है जबकि जनसंख्या बृद्धि के कारण लोगों के पास अपनी निजी भूमि बहुत ही कम रह गई है। वर्ष 2014 में ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क से प्रभावित लोगों की जनसुनवाई के दौरान तत्कालीन जिलाधीश कुल्लू राकेश कंवर ने भी वन अधिकार समिति के माध्यम से दावे पेश करने को कहा गया था।

जिला परिषद एवं जिला स्तरीय समिति की सदस्य विभा सिंह ने कहा कि यह समय समय पर वन अधिकार अधिनियम के मुद्दे को शासन प्रशासन के समक्ष उठाती रही है। लोगों में अपने अधिकारों के प्रति जागरुकता के अभाव में समय रहते इस कानून का लाभ नहीं मिल रहा था। इन्होंने कहा कि इस कानून को धरातल स्तर पर लागू करने में सहारा और अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं का भी महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है जिनकी मेहनत और मार्गदर्शन से ही यह सम्भव हो पाया है।

विभा सिंह ने बताया कि इस बैठक में उपमंडल बंजार की 5 ग्राम पंचायतों कंडीधार, शर्ची, थाटीबीड, पेखड़ी और कलवारी से 22 समुदायिक दावों की फाइलों के अलावा 5 सड़कों के निर्माण को भी स्वीकृति प्रदान की गई है। जिसमें ग्राम पंचायत कंडीधार का वशीर, नागणी, और दाढ़ी क्षेत्र ग्राम पंचायत सरची का जमाला, शर्ची-1, शर्ची-2, बंदल, झुटली, ग्राम पंचायत थाटीबीड का शिकारीबीड़, पाटौला और शाहिला क्षेत्र ग्राम पंचायत पेखड़ी का शलिंगा, दारन, मनहार और नाहीं क्षेत्र, ग्राम पंचायत कलवारी का ननौट, रंबी, कलवारी और देहूरी क्षेत्र शामिल है। इसके अलावा पांच सड़कों तिंदरधार से बरेलगा, नगलाडी से दाढ़ी, शनाड से शपनील, गलवाह धार से नघार वाया ननौट और फागला से रैला के निर्माण को भी मंजूरी प्रदान की गई है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!
Trending Now