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यूरोपिय देशों की तरह कुल्लू घाटी का बातावरण किसानी बागवानी की विभिन्न फंसलों के लिए अनुकूल-एचके चौधरी

कहा-शटाके मशरूम से प्रदेश के किसानों की आर्थिकी होगी सदृढ़

गड़सा घाटी के भेडू फॉर्म में 26 वी वैज्ञानिक सलाहाकार समिति व किसान संगोष्ठी का हुआ आयोजन

कुल्लू

कुल्लू जिला की गड़सा घाटी में कृषि विज्ञान केंद्र बजौरा  के द्वारा 26 वी वैज्ञानिक सलाहकार  समिति एवं किसान संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति प्रोफेसर एचके चौधरी ने बतौर मुख्य अतिथि की शिरकत की। इस मौके पर कृषि विज्ञान केंद्र बजौरा ने समन्वयक केसी शर्मा ने   कुलपति प्रोफेसर एसके चौधरी का  कुल्लवी  टोपी व स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया। इस किसान संगोष्ठी में कुल्लू जिला के सैकड़ों किसानों ने भाग लिया। कृषि विज्ञान केंद्र बजौरा  के द्वारा कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य के लिए 20 प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया गया।

पालमपुर विश्वविद्यालय के कुलपति एचके चौधरी  ने बताया कि हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय द्वारा कुल्लू जिला में कृषि विज्ञान केंद्र बजौरा के माध्यम से 26 वी वैज्ञानिक सलाहकार समिति एवं  किसान संगोष्ठी का आयोजन किया गया है।  उन्होंने कहाकि कृषि विभाग के द्वारा किसानों की समस्या के समाधान और किसानों के लिए नई राहें के लिए चारों महाविद्यालय के साइंटिस्ट के द्वारा किसानों के लिए आधुनिक कृषि तकनीक के बारे में जानकारी दी जा रही है उन्होंने कहा कि कुल्लू जिला में कृषि के साथ-साथ बागवानी के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है यहां का वातावरण कृषि व बागवानी के लिए अनुकूल है।उन्होंने कहाकि जिस तरह से यूरोपीय देशों में फसलें होती है उसी तर्ज पर कुल्लू घाटी में भी यहां का वातावरण कई परंपरागत फसलों के लिए अनुकूल है ऐसे में यहां पर भविष्य में किसानों के लिए फसलों का संरक्षण व उत्पादन किस प्रकार से हो सकता है उसको लेकर घाटी के किसानों के साथ संवाद किया जा रहा है उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय किसानों के साथ मिलकर इस क्षेत्र में में परंपरागत फसलों के संरक्षण को बढ़ाबा दिया जा रहा हैं।उन्होंनेकहाकि  परंपरागत फसलों का  दोहन किस प्रकार से हो उसके लिए किसानों को जानकारियां दी जा रही है उन्होंने कहा कि अभी तक कुल्लू घाटी में कई परंपरागत फसलें हैं। जिनका दोहन अभी तक सही तरीके से नहीं किया गया है ऐसे में किसानों की आय बढ़ाने के लिए परंपरागत फसलों के साथ-साथ नगदी फसलों के लिए किसानों को जागरूक कर रहे हैं उन्होंने कहा कि कुल्लू  घाटी में राज माह, माह चौड़ाई ,कंगनी रागी कुल्ती ,लाल चावल,कोदरा, सहित अन्य फसलें में अच्छा उत्पादन कर किसानों की आर्थिकी  सकती है । उन्होंने की कुल्लू घाटी में वातावरण व जमीनी उपजाऊ पन , गुणवत्ता को बढ़ाता है उन्होंने कहा कि ये फसलें सिर्फ फसलें नहीं दवाई का काम भी करती है इसके साथ कृषि विश्वविद्यालय ने सत्ता के मशरूम में एक नया मुकाम हासिल किया है उन्होंने कहा कि जैपनीज सटाके मशरूम को हिमाचल प्रदेश के किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिससे शटाके मशरूम  से प्रदेश के किसानों की आर्थिकी को सुदृढ़ किया।

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