राज्य पक्षी जाजुराना की विश्व धरोहर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में गणना के लिए टीमें हुई रवाना
इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी देहरादून से आए भारतीय वन सेवा के परिविक्षार्थी लेंगे हिस्सा
दुर्लभ पक्षी जाजुराना की संख्या बढ़ी या घटी सर्वेक्षण के बाद चलेगा पता
दुनिया भर में विलुप्त होने के कगार पर है जाजुराना प्रजाति का पक्षी
न्यूज़ मिशन
तीर्थन घाटी गुशैनी बंजार
(परस राम भारती):-
हिमाचल प्रदेश जिला कुल्लु के उपमंडल बंजार में स्थित विश्व धरोहर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क क्षेत्र के अंदर जैविक विविधता का अनमोल खजाना भरा पड़ा है। इस पार्क क्षेत्र में प्रतिवर्ष सैंकड़ों देशी विदेशी पर्यटक, प्रकृति प्रेमी, अनुसन्धानकर्ता, पर्वतारोही और ट्रैकर भर्मण करते हैं। पार्क प्रबन्धन द्वारा इस धरोहर स्थल के सरंक्षण एवं संवर्धन हेतु अनेकों योजनाओं पर कार्य किया जाता है। हर साल इस पार्क क्षेत्र के कोर जोन में मौजुद वन्य जीवों और कुछ दुर्लभ प्रजातियों के परिंदों की गणना की जाती है। शेड्यूल के मुताबिक अप्रैल और मई माह में जाजुराना और चीयर फीजेंट, जून माह में हिमालयन थार और काले भालू, सितम्बर माह में मस्क डियर, ब्लूशिप और भूरे भालू, फरवरी माह में घोरल और लैपर्ड तथा मार्च माह में दुर्लभ पक्षी मोनाल की गणना की जाती है।
इसी कड़ी में जैव विविधता संरक्षण के साथ साथ वन्य प्राणियों एवं परिंदों के लिए जीवन रक्षक बने ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क प्रबन्धन द्वारा 4 से 6 मई तक दुर्लभ प्रजातियों में शुमार हिमाचल के राज्य पक्षी जाजुराना की गणना शुरु की जा रही है। ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क तीर्थन रेंज के शाईरोपा सभागार में बुधवार को इसी सिलसिले में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जीएचएनपी के वनमंडलाधिकारी निशांत मंधोत्रा, हिमाचल प्रदेश वन विभाग के पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं सेवानिवृत्त एचओडी गुरिंदरजीत सिंह गोरया, वाइल्ड लाइफ विंग के सहायक वन अरण्यपाल, भारतीय वन सेवा के परिविक्षार्थी, वन परिक्षेत्राधिकारी, ब्लॉक ऑफिसर्स, वन रक्षक और अन्य वन कर्मचारी विषेष रूप से उपस्थित रहे।
हिमाचल प्रदेश में स्टडी टूर पर आए राष्ट्रीय वन अकादमी देहरादून के करीब 50 आईएफएस परिविक्षाधीन अधिकारिओं का दल भी पार्क क्षेत्र में की जा रही जाजूराना की इस गणना में शमिल रहेंगे। आज प्रातः ही गणना के लिए गठित सभी टीमों को अपने अपने गंतव्य के लिए रवाना किया गया है।
वन मंडल अधिकारी निशांत मल्होत्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क कोर जोन की तीनों रेंजों सैंज, जीवनाला और तीर्थन रेंज में 3 दिनों तक जाजुराना पक्षी की अनुमानित गणना की जाएगी। इस कार्य के लिए 18 टीमों का गठन किया गया है जो पार्क क्षेत्र के विभिन्न स्थानों 2200 मीटर से 3200 मीटर ऊंचाई तक जाकर कई विधियों द्वारा जाजुराना पक्षी की मौजूदगी के आंकड़े एकत्रित करेंगे। इन टीमों में वन विभाग के विशेषज्ञ अधिकारी, अकादमी से आए आईएफएस परिविक्षार्थी, वन परीक्षेत्र अधिकारी, ब्लॉक ऑफिसर, वनरक्षक, कुक, पोर्टर व अन्य कर्मचारी शामिल रहेंगे। इन्होंने बताया कि दुर्लभ परिंदे जाजुराना की अनुमानित गणना व सर्वेक्षण के पश्चात हर टीम से रिपोर्ट लेकर इसका डेटाबेस तैयार किया जाएगा। ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क क्षेत्र के अंदर वर्तमान में दुर्लभ पक्षी जाजूराना की मौजूदगी का रहस्य गणना के बाद ही सामने आएगा।
हिमाचल प्रदेश वन विभाग के पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं सेवानिवृत्त एचओडी वाइल्ड लाइफ विंग गुरिंदरजीत सिंह गोरया ने कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों के साथ अपनी सेवाकाल के लम्बे तुजर्वे को साझा किया। इन्होंने विश्व धरोहर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क की स्थापना और इसके अन्दर मौजूद बेशकीमती जड़ी बूटियों, वन्य जीवों, दुर्लभ परिंदों और जैव विविधता के बारे में विस्तृत जानकारी दी और इस धरोहर स्थल के सरंक्षण एवं संवर्धन पर बल दिया है। जाजुराना पक्षी की गणना के लिए रवाना होने वाली टीमों को इन्होंने अपनी ब्रीफिंग के दौरान निगरानी एवं सर्वेक्षण के कई तरीकों से अवगत करवाया। इन्होंने बताया कि परिंदों की गणना के लिए किसी विशेष स्थान की निगरानी, कॉल काउंट विधि, स्कैनिंग विधि, साइलेंट ड्राइव काउंट, उड़ते हुए पक्षियों की गिनती, मलमूत्र, गिरे हुए पंख, पक्षी द्वारा की गई खुदाई, कैमरा और दुरवीन आदि कई तकनीकों को अपनाया जाता है।
इन्होंने बताया कि जाजुराना प्रजाति का पक्षी दुनिया से विलुप्त होने के कगार पर है। इस समय विश्वभर में जाजुराना की कुल संख्या 3500 है और इसमें सबसे अधिक संख्या कुल्लू जिला में स्थित ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में पाए जाने की सम्भावना है।
ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क तीर्थन रेंज शाईरोपा के वन परीक्षेत्र अधिकारी परमानंद ने बताया कि जाजूराना पक्षी की गणना के लिए गठित टीमें सैंज के शाकटी, होमखनी, लपाह तथा जीवनाला के पाशी, वाह और तीर्थन रेंज के रोला व भंडार वीटो में अलग-अलग स्थानों पर जाकर इस कार्य को अंजाम देंगे। इस दौरान पार्क क्षेत्र के अंदर कीलमनाला, होमखनी, थानैन, शुगाडनाला, खोडूथाच, बहली थाच, लंगम थाच, सरा थाच, कालीकांडा, संजतथाच, उपगेन थाच, शिलट, छोद्वार, खोरलीपोई, बासु और नाड़ा आदि स्थानों में जाकर जाजुराना पक्षी की उपस्थिति पता की जाएगी।
इन्होंने बताया कि पार्क क्षेत्र के अंदर किसी भी प्रजाति के वन्य जीवों और परिंदों का शिकार करना तथा औषधिय जड़ी बूटियों का दोहन गैर कानूनी है। अवैध गतिविधियों को रोकने के निगरानी एवं सुचना तन्त्र को मजबूत किया जा रहा है और कर्मचारियों द्वारा समय समय पर पेट्रोलिंग व नाकाबंदी की जाती है।