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कुल्लू जिला की लगघाटी के कई गांव में लहसुन की फंसल को लगी बीमारी कृषि विभाग के अधिकारी बेखबर
40 प्रतिशत लहसुन की फंसल खराब होने से किसानों को आर्थिक नुक्सान की सता रही चिंता
न्यूज मिशन
कुल्लू
हिमाचल प्रदेश में जिला सिरमौर के बाद लहसुन उत्पाद में कुल्लू जिला दूसरे स्थान पर आता है ऐसे में जिला के हजारों किसानों की आर्थिकी लहसुन पर निर्भर है। लेकिन पिछले कई बर्षो ेस लहसुन की फंसल को सड़ने की बीमारी लगी है जिससे हर साल किसानों को भारी नुक्सान झेलना पड़ रहा है।कुल्लू जिला की लगघाटी के कई गांव में लेकिन अचानक लहसुन की जड़ सूखने लगी और पत्तियां पीली पड़ गई है जिससे लहसुन खेतों में सड़ने से आथिक तौर पर भारी नुक्सान हो रहा है। ऐसे में घाटी के किसानों ने कृषि विभाग के अधिकारियों से बीमारी का निरीक्षण करने की मांग की है। जिससे बीमारी की रोकथाम हो सके ।
स्थानीय किसान दविन्द्र कुमार ने बताया कि 40 प्रतिशत लहुसन की फसल खराव हुई है। हर साल बिमार यह बढ़ती जा रही है। लगातार किसान लुहसन की फसल की बिजाई करते आ रहें हैं जिस कारण से यह सम्सया उत्पन्न हो रही है।फसल का परिर्वतन आवश्य है,किसान फसल परिर्वतन नहीं करहै। किसानों को आर्थिकी का वेस है। पिछले कुछ सालों से बिमारी फैलती जा रही है। कृषि विभाग से इस वारे में जानकारी नहीं ली हैं लेकिन दवाई विक्रेता से समय समय पर जानाकरी ली है, और उन्हें सैंपल ले कर जार दुकान उन्हें दवाईयां देते है। उन दवाईयों से कुछ हद तक तो विमारी रूकती थी।लेकिन बिमारी नही रूती थी लोगों के खेत ख्ेात खराव हो गए है। यहा पर 70 प्रतिशत किसान लुहसन पर निर्भर है। उन्होने कहा कि पिछले साल भी लहुसन अकाल कि वजह से भी खराव हुआ था। पिछले वर्ष अधिक मात्रा में लुहसन खराव हुआ था। इस साल भी लुहसल खराव हैं क्यों कि किसानों की आण् क् स्त्रोत यही है। विभाग से मां ग करते हैकि वे ग्राउंड लेनल पर जा कर इस विमारी को हल निकाले। औश्र किसानेां को जागरूक करें लहुसन लगाजते समय किन वातों का ध्यान रखा जाए। किसानेां का फसल विमा भी करवाये जो नुकसान हुआ उसकी भरपाई हो सके।
स्थानीय किसान दविन्द्र कुमार ने बताया कि 40 प्रतिशत लहुसन की फसल खराव हुई है। हर साल बिमार यह बढ़ती जा रही है। लगातार किसान लुहसन की फसल की बिजाई करते आ रहें हैं जिस कारण से यह सम्सया उत्पन्न हो रही है।फसल का परिर्वतन आवश्य है,किसान फसल परिर्वतन नहीं करहै। किसानों को आर्थिकी का वेस है। पिछले कुछ सालों से बिमारी फैलती जा रही है। कृषि विभाग से इस वारे में जानकारी नहीं ली हैं लेकिन दवाई विक्रेता से समय समय पर जानाकरी ली है, और उन्हें सैंपल ले कर जार दुकान उन्हें दवाईयां देते है। उन दवाईयों से कुछ हद तक तो विमारी रूकती थी।लेकिन बिमारी नही रूती थी लोगों के खेत ख्ेात खराव हो गए है। यहा पर 70 प्रतिशत किसान लुहसन पर निर्भर है। उन्होने कहा कि पिछले साल भी लहुसन अकाल कि वजह से भी खराव हुआ था। पिछले वर्ष अधिक मात्रा में लुहसन खराव हुआ था। इस साल भी लुहसल खराव हैं क्यों कि किसानों की आण् क् स्त्रोत यही है। विभाग से मां ग करते हैकि वे ग्राउंड लेनल पर जा कर इस विमारी को हल निकाले। औश्र किसानेां को जागरूक करें लहुसन लगाजते समय किन वातों का ध्यान रखा जाए। किसानेां का फसल विमा भी करवाये जो नुकसान हुआ उसकी भरपाई हो सके।